ज्ञानवापी | वाराणसी कोर्ट में मस्जिद कमेटी का आवेदन, मीडिया को एएसआई सर्वेक्षण के बारे में 'झूठी खबर' प्रकाशित करने से रोकें

Update: 2023-08-09 05:17 GMT

ज्ञानवापी मस्जिद की मैनेजमेंट कमेटी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने मस्जिद परिसर में जारी एएसआई सर्वे के बारे में इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में 'झूठी खबरों' का प्रकाशन रोकने के लिए जिला अदालत में आवेदन दायर किया है।

आवेदन श्रृंगार गौरी पूजा मुकदमे में दायर किया गया है। उल्लेखनीय है कि यह मुकदमा 2022 से लंबित है, जिसके तहत चार हिंदू महिलाओं ने मस्जिद परिसर में वर्ष भर पूजा करने की अनुमति की मांग की है।

मस्जिद कमेटी की ओर से दायर आवेदन में कहा गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) या उसके अधिकारियों ने चल रहे सर्वेक्षण के संबंध में कोई बयान नहीं दिया है, हालांकि, सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मनमाने ढंग से इसके बारे में गलत और झूठी खबरें फैलई जा रही हैं।

आवेदन में कहा गया है,

“वे मस्जिद के अंदर के उन क्षेत्रों से संबंधित जानकारी प्रकाशित और प्रसारित कर रहे हैं, जिनका आज तक सर्वेक्षण नहीं किया गया है, जिसके कारण जनता के दैनिक जीवन पर गलत प्रभाव पड़ रहा है और जनता के मन में विभिन्न प्रकार की बातें उत्पन्न हो रही हैं और दुश्मनी फैल रही है।"

उल्लेखनीय है कि एएसआई वाराणसी जिला जज के 21 जुलाई के आदेश के अनुसार ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रहा है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं? सर्वे का आज आठवां दिन है।

सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई को 4 अगस्त को 'वुज़ुखाना' क्षेत्र, जहां पिछले साल एक 'शिवलिंग' मिलने का दावा किया गया था, ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने से रोकने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने एएसआई की ओर से दिए गए इस वचन को रिकॉर्ड पर लेते हुए कि साइट पर कोई खुदाई नहीं की जाएगी और संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा, सर्वेक्षण की अनुमति दी थी।

कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया था, जिसने एएसआई सर्वेक्षण की अनुमति दी थी।

वाराणसी जिला जज ने एएसआई के निदेशक को उस क्षेत्र को छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का "वैज्ञानिक सर्वेक्षण" करने का निर्देश दिया है, जिसे पहले सील कर दिया गया था (वुजुखाना) ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या म‌स्जिद हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर बनाई गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन अगस्त को इस आदेश को बरकरार रखा था।

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