ज्ञानवापी| इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'शिव लिंग' की उम्र के सुरक्षित मूल्यांकन पर जवाब देने के लिए एएसआई को और 8 सप्ताह का समय दिया

Update: 2023-01-20 06:47 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को यह बताने के लिए 8 सप्ताह का और समय दिया है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर कथित रूप से पाए गए 'शिव लिंग' की उम्र का सुरक्षित मूल्यांकन किया जा सकता है या नहीं।

जस्टिस जेजे मुनीर की पीठ ने वाराणसी कोर्ट के 14 अक्टूबर के आदेश के खिलाफ दायर एक पुनरीक्षण याचिका पर यह आदेश पारित किया। वाराणसी कोर्ट ने कथित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर पाए गए 'शिव लिंग' की वैज्ञानिक जांच के लिए हिंदू उपासकों की ओर से दायर याचिका को 16 मई को खारिज कर दिया था।

उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधनकर्ता अंजुमन मस्जिद कमेटी ने दावा किया है कि मस्जिद परिसर में पाया गया ढांचा 'फव्वारा' है। दूसरी ओर, हिंदू उपासक संरचना को 'शिव लिंग' मानते रहे हैं।

यह भी ध्यान दिया जा सकता है कि 5 नवंबर को मामले की सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें डीजी, एएसआई को अनिवार्य रूप से 21 नवंबर, 2022 तक यह बताने के लिए कहा गया था कि अगर संरचना की जांच कार्बन डेटिंग, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) एक्सकेवेशन और इसकी उम्र या प्रकृति की जांच के लिए इस्तेमाल अन्य विधियों से की जाती है तो उसे नुकसान होने की आंशका तो नहीं है या उम्र के संबंध में सुरक्षित मूल्यंकन किया जा सकता है।

हालांकि, 19 जनवरी को एएसआई ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि उसे अदालत के सवाल का जवाब दाखिल करने के लिए 8 सप्ताह का और समय चाहिए, तो अदालत ने प्रार्थना की अनुमति दी और मामले को 20 मार्च, 2023 को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।

उल्लेखनीय है कि यह मुद्दा न्यायालय के विचार के लिए तब आया जब पुनरीक्षणवादियों (लक्ष्मी देवी और 3 अन्य) ने वाराणसी कोर्ट के 14 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देते हुए, एएसआई को 'शिव लिंग' की वैज्ञानिक जांच करने के लिए हाई कोर्ट के निर्देश की मांग की।

इस आशय की एक प्रार्थना सितंबर 2022 में वाराणसी कोर्ट के समक्ष की गई थी, हालांकि, उस स्थान की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के 17 मई के आदेश को ध्यान में रखते हुए इसे खारिज कर दिया गया था। "शिव लिंग" के पाए जाने का दावा ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के दरमियान किया गया था।

हिंदू उपासकों की याचिका खारिज करते हुए वाराणसी कोर्ट ने कहा था, "अगर कार्बन डेटिंग या ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार की अनुमति दी जाती है और अगर 'शिव लिंग' को कोई नुकसान होता है, तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा और इससे आम जनता की धार्मिक भावनाएं भी आहत हो सकती हैं।"

उस आदेश को चुनौती देते हुए, पिछले साल नवंबर में हाईकोर्ट के समक्ष तत्काल पुनरीक्षण याचिका दायर की गई थी।

केस टाइटलः श्रीमती लक्ष्मी देवी और 3 अन्य बनाम स्टेट ऑफ यूपी थ्रू प्रिंसिपल सेक्रेटरी (सिविल सेक्रेटरी) लखनऊ और पांच अन्य

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