ज्ञानवापी| इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू उपासकों के मुकदमे खिलाफ दायर मस्जिद समिति की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

Update: 2022-12-23 13:47 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी, जिस पर वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की जिम्‍मेदारी है, की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

कमेटी ने पुनरीक्षण याचिका में वाराणसी कोर्ट के 12 सितंबर, 2022 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें सीपीसी ऑर्डर 7 रूल 11 की प्ली को खारिज कर दिया गया था। प्ली में हिंदू उपासकों के मुकदमे के सुनवाई योग्य होने पर सवाल उठाया गया था।

जस्टिस जेजे मुनीर की पीठ ने दोनों पक्षों के वकीलों को विस्तार से सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

उल्लेखनीय है कि मस्जिद कमेटी ने अक्टूबर 2022 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके कुछ दिनों बाद वाराणसी कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था, जिसे ऑर्डर 7 रूल 11 सीपीसी के तहत दायर किया था, जिसमें पांच हिंदू महिलाओं (वादी) की ओर से की गई पूजा की मांग संबंधी मुकदमे के सुनवाई योग्य होने को चुनौती दी गई थी।

आदेश में वाराणसी जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा कि वादी का मुकदमा पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991, वक्फ अधिनियम 1995 और यूपी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम, 1983 द्वारा वर्जित नहीं है, जैसा कि अंजुमन मस्जिद कमेटी द्वारा दावा किया जा रहा था।

मामला

वादी (हिंदू महिला उपासकों) ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल बने मस्जिद परिसर की बाहरी दीवार पर स्थित मां श्रृंगार गौरी की पूजा के अधिकार की मांग की है। अंजुमन कमेटी ने मुकदमे के सुनवाई योग्य होने को चुनौती दी थी। उन्होंने तर्क दिया था कि हिंदू उपासकों का मुकदमा पूजा अधिनियम, 1991 द्वारा वर्जित है।

वादी ने दावा किया था कि वर्तमान मस्जिद परिसर कभी हिंदू मंदिर था और इसे मुगल शासक औरंगजेब ने ध्वस्त कर दिया। उसके बाद, वर्तमान मस्जिद का ढांचा वहां बनाया गया था।

उनके मुकदमे को चुनौती देते हुए अंजुमन मस्जिद कमेटी ने अपनी आपत्ति और ऑर्डर 7 रूल 11 सीपीसी आवेदन में तर्क दिया था कि मुकदमा पूजा स्‍थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 द्वारा विशेष रूप से वर्जित है।

हिंदू महिला उपासकों द्वारा दायर मुकदमे पर रोक के रूप में पूजा स्‍थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की प्रयोज्यता के संबंध में वाराणसी कोर्ट ने 12 सितंबर के आदेश में विशेष रूप से कहा कि चूंकि हिंदू उपासकों ने दावा किया है कि हिंदू देवी-देवताओं की 15 अगस्त, 1947 (जो पूजा स्थल अधिनियम के तहत प्रदान की गई अंतिम तिथि है) के बाद भी मस्जिद परिसर के अंदर पूजा की जा रही थी, इसलिए इस मामले में इस अधिनियम की कोई प्रयोज्यता नहीं होगी।

केस टाइटल- कमेटी ऑफ मैनेजमेंट अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद वाराणसी बनाम श्रीमती राखी सिंह व अन्य [सिविल रीविजन नंबर- 101 ऑफ 2022]

Tags:    

Similar News