ज्ञानवापी| इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई को बिना विलंब 'शिव लिंग' की उम्र के सुरक्षित मूल्यांकन पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया, अगली सुनवाई 5 अप्रैल को
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को इस मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल करने का एक और मौका दिया कि क्या कथित तौर पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पाए गए 'शिव लिंग' की उम्र का सुरक्षित मूल्यांकन किया जा सकता है।
कोर्ट ने अब मामले की सुनवाई के लिए 5 अप्रैल की तारीख तय की है।
जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा-I की पीठ ने, हालांकि, इस प्रक्रिया में तेजी लाने और मामले में और देरी नहीं करने के लिए कहा क्योंकि यह पाया गया कि एएसआई का समय विस्तार आवेदन न्याय के हित के खिलाफ काम कर रहा है।
कोर्ट ने कहा,
"भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा और अधिक समय की मांग नहीं की जानी चाहिए...समय विस्तार के लिए आवेदन न्याय के हित के खिलाफ काम कर रहा है और इसे 05.04.2023 से आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।"
एएसआई की ओर से अपनी राय/रिपोर्ट के साथ-साथ अन्य एजेंसियों द्वारा समय विस्तार आवेदन दाखिल करने के लिए और समय मांगे जाने के बाद सिंगल जज ने आज यह आदेश पारित किया। हालांकि एएसआई के वकील ने खेद व्यक्त किया कि वह अपनी राय दाखिल नहीं कर सका, फिर भी एक निवेदन किया गया कि अन्य एजेंसियों के साथ परामर्श अपरिहार्य था।
उसी के मद्देनजर, न्यायालय ने इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में कार्बन डेटिंग, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार, उत्खनन और अन्य तरीकों के बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए उचित कदम उठाने की अपेक्षा की।
गौरतलब है कि इससे पहले 20 जनवरी को एएसआई को अदालत के समक्ष अपनी राय दर्ज करने के लिए 8 सप्ताह का समय दिया गया था। न्यायालय ने यह भी उम्मीद की कि रुड़की, कानपुर नगर, या कहीं और स्थित अन्य एजेंसियां, जिन्हें सलाह देने की मांग की गई है, वे बिना किसी अनावश्यक देरी के मामले को उठाएंगी।
दरअसल, हाईकोर्ट वाराणसी न्यायालय के 14 अक्टूबर के आदेश के खिलाफ दायर एक पुनरीक्षण याचिका को निस्तारित कर रहा था, जिसमें स्थानीय अदालत ने 'शिव लिंग' की वैज्ञानिक जांच करने के लिए हिंदू उपासकों की याचिका को खारिज कर दिया था।
केस टाइटलः श्रीमती लक्ष्मी देवी और 3 अन्य बनाम स्टेट ऑफ यूपी थ्रू प्रिंसिपल सेक्रेटरी (Civil Sec.) Lko. Nd 5 और अन्य।