गुजरात दंगे 2002: हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने तीस्ता सीतलवाड की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

Update: 2023-08-03 08:49 GMT

गुजरात हाईकोर्ट के समीर जे. दवे गुरुवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड की उस याचिका पर सुनवाई से अलग हो गए, जिसमें उन्होंने गुजरात पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामले को रद्द करने की मांग की थी।

तीस्ता सीतलवाड पर 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित उच्च सरकारी अधिकारियों को फंसाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाने का आरोप लगाया गया था।

गुजरात के अहमदाबाद की एक सिटी सत्र अदालत द्वारा मामले के संबंध में उनके आरोपमुक्ति आवेदन को खारिज करने के तुरंत बाद सीतलवाड ने हाईकोर्ट का रुख किया।

इससे पहले 19 जुलाई को शीर्ष अदालत ने मामले में उन्हें नियमित जमानत दे दी थी।

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें यह राय देने के बाद कि हाईकोर्ट की टिप्पणियाँ "विकृत" और "विरोधाभासी" थीं, उसे नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

सीतलवाड के खिलाफ मामला

सीतलवाड गुजरात दंगों की साजिश के मामले में सबूत गढ़ने और झूठी कार्यवाही शुरू करने के आरोप में एफआईआर का सामना कर रही हैं।

गुजरात दंगों में बड़ी साजिश का आरोप लगाने वाली सीतलवाड की याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के एक दिन बाद राज्य पुलिस ने पिछले साल उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

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