गुजरात हाईकोर्ट ने 2016 में सार्वजनिक रूप से व्यक्ति के साथ मारपीट करने और उसकी परेड कराने के आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अवमानना के आरोप तय किए

Update: 2023-07-07 07:06 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति की हिरासत में पिटाई करने और उसकी सार्वजनिक रूप से परेड कराने के आरोपी पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ अदालत की अवमानना के आरोप तय किए हैं।

जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस एमआर मेंगडे की डिवीजन बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी।

बेंच ने कहा- “देखो, वो एक कट्टर आतंकवादी हो सकता है, लेकिन ये आपको कानून के खिलाफ काम करने का अधिकार नहीं देता है।"

अदालत ने कहा कि इन पुलसकर्मियों ने अरनेश कुमार और डी.के. बसु जजमेंट में का उल्लंघन किया है।

बजिन पांच पुलिसकर्मियों पर अवमानना के आरोप तय किए गए हैं उनके नाम- बी.टी.गोहिल, एम.जे. धांधल, श्री वी.एस. लांबा, जयुभा परमार और प्रदुमनसिंह जला।

कोर्ट ने पुलिस कर्मियों पर लगाए गए आरोपों की गंभीरता और कोर्ट के पहले के आदेशों को देखते हुए पुलिस कर्मियों की माफी स्वीकार नहीं की। कहा- पुलिस कर्मियों की तरफ से मांगी गई माफी पर आरोप तय होने के बाद उचित समय पर विचार किया जाएगा।

केस के मुताबिक, जून 2016 में राजकोट के भक्तिनगर पुलिस स्टेशन में अधिकारियों ने एक व्यक्तो को लाठियों से बेरहमी से पीटा। इसके बाद सार्वजनिक रूप से उसकी परेड कराई और फिर उसे पीटा गया।

शिकायतकर्ता ने ये भी आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी धांधल ने गुजरात निषेध अधिनियम के तहत अवैध हिरासत को सही ठहराने के लिए उसे शराब पीने के लिए मजबूर किया।

आगे आरोप लगाया कि जमानत पर रिहा होने के बाद उन्हें फिर से पीटा गया, सार्वजनिक रूप से उनकी परेड कराई गई गया। त्रिशूल चौक ले जाया गया। जहां अधिकारी परमार और दूसरे पुलिस अधिकारी ने उन्हें लाठियों पीटा।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट आईएच सैयद ने अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 12 का हवाला देते हुए कहा कि आरोप तय होने के बाद और सजा दिए जाने के दौरान बिना शर्त माफी स्वीकार की जा सकती है।

मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।

इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि फिलहाल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए। क्योंकि उनके खिलाफ आरोप तय हो चुके हैं।

आगे कहा गया, "यह स्पष्ट किया जाता है कि संबंधित उत्तरदाताओं द्वारा दी गई माफी को स्वीकार करने का मुद्दा अभी भी खुला रखा गया है और जैसा कि दिनांक 30.06.2023 के आदेश में दर्ज किया गया है, उस पर उचित चरण में विचार किया जाएगा।"

केस टाइटल: अजय रायधनभाई कुंभारवाडिया (बोरिचा) बनाम गुजरात राज्य और 6 अन्य (आर/विविध सिविल आवेदन संख्या 1911, 2016)

आई एच सैयद, वरिष्ठ अधिवक्ता, जयप्रकाश उमोट, पृथु परिमल, विश्रुत भंडारी, आवेदक क्रमांक 1 के लिए

मितेश अमीन, सरकारी वकील और वृंदा शाह, प्रतिद्वंद्वी (एस) नंबर 1,7 के लिए एजीपी

एस आई नानावटी, वरिष्ठ वकील, प्रतीक वाई जसानी (5325) प्रतिद्वंद्वी (एस) नंबर 2 के लिए

दीपेन के दवे (3296) प्रतिद्वंद्वी (एस) नंबर 3 के लिए

जल उनवाला, वरिष्ठ वकील जिगर जी गढ़वी (5613) विपक्षी संख्या 4,5 के लिए

पवन ए बारोट(6455) प्रतिद्वंदी(एस) क्रमांक 6 के लिए

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