गुजरात हाईकोर्ट ने 2018 में संजीव भट्ट की सुरक्षा वापस लेने के कारणों का खुलासा करने की याचिका खारिज की

Update: 2023-02-11 15:08 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता संजय भट्ट की ओर से अपने पति की पुलिस सुरक्षा वापस लेने के लिए राज्य सरकार की ओर से दिए गए तर्क का खुलासा करने लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया।

जस्टिस निरजार एस देसाई की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि प्रासंगिक समय पर पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के पीछे तथ्य यह था कि याचिकाकर्ता का पति एक आईपीएस अधिकारी था, और वह एक आपराधिक मुकदमे में गवाह भी था।

याचिका में श्वेता संजय भट्ट और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रार्थना की गई थी, हालांकि उनकी ओर से पेश वकील ने प्रार्थना पर जोर नहीं दिया और मामले को सुरक्षा वापस लेने की प्रक्रिया से संबंधित रिकॉर्ड पेश करने की प्रार्थना तक सीमित कर दिया।

अदालत ने कहा कि संजीव भट्ट सितंबर 2018 से जेल में हैं और इसलिए जिस आधार पर याचिकाकर्ता ने प्रासंगिक समय पर पुलिस सुरक्षा की मांग की थी, वह आज मौजूद नहीं है।

संजीव भट्ट की पुलिस सुरक्षा को राज्य सरकार ने 16.07.2018 को ‌दिए एक आदेश के जरिए वापस ले लिया, जिसे हाईकोर्ट की समन्वय पीठ के समक्ष उनके निर्देश पर 03.12.2021 को रखा गया था।

अदालत ने कहा कि जब एक जिम्मेदार राज्य अधिकारी जैसे विद्वान लोक अभियोजक बार में बयान देते हैं और 16.07.2018 के आदेश की प्रति उपलब्ध कराते हैं, जिसमें न केवल याचिकाकर्ता के पति के संबंध में, बल्कि कुल 64 व्यक्तियों के संबंध में भी पुलिस सुरक्षा वापस ले ली गई थी, राज्य सरकार की मंशा पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।

अदालत ने यह भी कहा कि अगर सरकार के फैसले को रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया जाता है, तो संभावना है कि यह वीआईपी और वीवीआईपी के बारे में सुरक्षा और खतरे की धारणा के संबंध में राज्य सरकार द्वारा सूचना एकत्र करने के विभिन्न तरीकों का पर्दाफाश हो सकता है।

अदालत ने कहा कि राज्य का कारणों का खुलासा न करना और किसी अन्य सामग्री को पेश करने से इनकार करना पूरी तरह से न्यायोचित है क्योंकि याचिकाकर्ता का अधिकार बहुत सीमित है।

कोर्ट ने कहा,

"इसलिए, बड़े जनहित में, मुझे नहीं लगता कि जब 16.07.2018 के आदेश को पहले ही रिकॉर्ड पर उपलब्ध करा दिया गया है और याचिकाकर्ता को पहले ही प्रदान कर दिया गया है तो आगे किसी और आदेश को देना उचित है।"

आवेदन को अदालत ने खारिज कर दिया था और मुख्य याचिका पर जोर नहीं दिया गया।

केस टाइटल: श्वेता संजय भट्ट बनाम गुजरात राज्य

कोरम: जस्टिस निरजार एस देसाई

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