COVID 19 : गुजरात हाईकोर्ट ने कहा, लोगों की गिरफ़्तारी संक्रमण की मेडिकल जांच के बाद करें
केंद्र सरकार के लॉकडाउन की घोषणा के बाद गुजरात हाईकोर्ट ने सभी अंतरिम राहतों से संबंधित आदेशों की मियाद 15 जून तक बढ़ा दी है। पीठ ने नियमित या अग्रिम, सभी ज़मानत आदेश जो 30 अप्रैल को समाप्त होनेवाले थे, उन्हें एक माह के लिए आगे बढ़ा दिया है।
इसके साथ ही बेदख़ली, ढहाने आदि के सभी आदेशों पर अमल को रोक दिया गया है।
मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की पीठ ने कोरोना माहामारी को देखते हुए ये आदेश दिए हैं।
अदालत ने हालाँकि कहा कि ऐसे अंतरिम आदेश जो सीमित अवधि के लिए नहीं हैं और जो अगले आदेश के आने पर लागू होंगे, इस आदेश से अप्रभावित रहेंगे।
अदालत ने कहा कि वह समझती है कि राज्य सरकार, नगर निगम और अन्य एजेंसियाँ बेदख़ली और ढहाने के आदेश पर देरी से अमल करेंगी।
अदालत ने COVID-19 संक्रमण की जाँच किए बिना लोगों को हाल में गिरफ़्तार करने और उन्हें जेल में रखने पर चिंता जताई।
अदालत ने कहा कि वह इस बारे में कोई व्यापक आदेश नहीं दे रही है पर पीठ ने गुजरात सरकार के गृह मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी अब किसी भी व्यक्ति को गिरफ़्तार करने से पहले उसकी COVID-19 से संक्रमित नहीं होने की जाँच की जाए।
पीठ ने कहा,
"…हम राज्य/पुलिस विभाग को जघन्य या अन्य अपराधों के लिए किसी की गिरफ़्तारी पर रोक नहीं लगा रहे हैं पर हमारा मानना है कि इस अवधि में अगर किसी को कोविड-19 संक्रमण की जाँच के बिना गिरफ़्तार किया जाता अहै और किसी विशेष जेल में रखा जाता है तो इससे जेल में बंद सैकड़ों क़ैदियों में संक्रमण का ख़तरा पैदा हो जाएगा…।"
अदालत ने कहा,
"…इसलिए, उचित होगा किगुजरात सरकार का गृह विभाग इन बातों को ध्यान में रखकर ज़रूरी सर्कुलर/निर्देश राज्य के सभी पुलिस अधीक्षकों/पुलिस आयुक्तों को जारी करेगा कि वे किसी को भी गिरफ़्तार करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आरोपी कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हो। इस बारे में सुनिश्चित होने के बाद ही किसी आरोपी को जेल में बंद किया जाए अन्यथा इसे इस संकट के जारी रहने तक टाला जाए।"
ऑर्डर को डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें