बुलेट ट्रेन परियोजना को हरी झंडी, बॉम्बे हाईकोर्ट ने विक्रोली में गोदरेज और बॉयस के प्लॉट के अधिग्रहण को सही ठहराया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए विक्रोली में गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड के प्लॉट के अधिग्रहण को रद्द करने से इनकार कर दिया।
जस्टिस आरडी धानुका और जस्टिस एमएम सथाये की खंडपीठ ने कहा, "अधिग्रहण में कोई अनियमितता नहीं है...परियोजना सर्वोपरि है...सार्वजनिक हित निजी हित पर हावी होगा।" कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर भी स्टे देने से इनकार कर दिया।
गोदरेज ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए कंपनी की 39,252 वर्गमीटर (9.69 एकड़) भूमि के अधिग्रहण के लिए 15 सितंबर, 2022 को डिप्टी कलेक्टर की ओर से 264 करोड़ रुपये के अवॉर्ड और मुआवजे को चुनौती दी थी। कंपनी ने दावा किया कि यह राशि 572 करोड़ रुपये की प्रारंभिक पेशकश का एक अंश थी।
हालांकि, याचिका में मुख्य चुनौती 20 अगस्त 2019 की एक अधिसूचना थी, जो भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार की धारा 10ए के तहत जारी किए गए सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन से परियोजना को छूट देती थी। इसने उचित मुआवजा अधिनियम की धारा 25 के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी थी, जो राज्य को अवॉर्ड जारी करने के लिए एक्सटेंशन देने की अनुमति देती है।
गोदरेज और सरकार 2019 से कंपनी के स्वामित्व वाली भूमि के अधिग्रहण को लेकर आमने-सामने हैं। मुंबई और अहमदाबाद के बीच कुल 508.17 किलोमीटर रेल ट्रैक में से 21 किलोमीटर रेल ट्रैक के भूमिगत होने की योजना है। भूमिगत सुरंग के प्रवेश बिंदुओं में से एक विक्रोली (गोदरेज के स्वामित्व वाली) भूमि पर पड़ता है।
राज्य ने गोदरेज को परियोजना में देरी के कारण 1000 करोड़ रुपये की लागत वृद्धि के लिए दोषी ठहराया है, जबकि गोदरेज ने दावा किया कि भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही में पेटेंट अवैधताएं थीं।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता सामाजिक प्रभाव के आकलन की कमी से प्रभावित नहीं थे और राज्य के पास भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार की धारा 10ए और 25 के तहत किसी विशेष परियोजना को छूट देने की शक्ति थीं।
पृष्ठभूमि
कंपनी ने अक्टूबर में दायर अपनी याचिका में मांग की थी कि हाईकोर्ट राज्य सरकार को आदेश पारित करने और कब्जे की कार्यवाही शुरू करने की दिशा में आगे बढ़ने का निर्देश न दे।
गोदरेज के अनुसार, अधिकारी उचित मुआवजा अधिनियम की अनिवार्य वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहे। कंपनी ने दावा किया कि सरकार ने इस चुनौती से निपटने के बजाय इसे अकादमिक अभ्यास के तौर पर लिया है।
कंपनी ने कहा कि यूनियन संविधान के अनुच्छेद 254(1) के संदर्भ में भारत के राष्ट्रपति के समक्ष उनकी सहमति के लिए रखी गई सामग्री का पेश करने में विफल रहा। कंपनी ने कहा कि उन्होंने यह दस्तावेज देर से ही तैयार किया था।
उल्लेखनीय है किघाटकोपर-मुलुंड आर्टेरियल रेलवे साइडिंग के संबंध में अतिरिक्त ट्रैक बिछाने के लिए 89 वर्ग गज जमीन और ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे के लिए 56 एकड़ जमीन पहले ही अधिग्रहित की जा चुकी है।