बॉम्बे हाईकोर्ट की कोल्हापुर पीठ ने मंगलवार को दिवंगत कम्युनिस्ट नेता गोविंद पानसरे हत्याकांड के तीनों मुख्य आरोपियों वीरेंद्र तावड़े, शरद कालस्कर और अमोल काले को ज़मानत दी।
सिंगल जज जस्टिस शिवकुमार दिगे ने मौखिक रूप से उन्हें ज़मानत देने का फैसला सुनाया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार तावड़े इस मामले के मुख्य षड्यंत्रकारियों में से एक है, जिसने पानसरे की हत्या की साजिश रची थी। अन्य दो आरोपियों शरद कालस्कर और अमोल काले पर भी तावड़े के साथ मिलकर साजिश रचने और पानसरे व अन्य बुद्धिजीवियों के खिलाफ युवाओं को उकसाने का मामला दर्ज किया गया।
गौरतलब है कि पानसरे की 16 फरवरी, 2015 को उनकी पत्नी उमा के साथ गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब वे कोल्हापुर में अपने घर के पास सुबह की सैर से घर लौट रहे थे। 20 फ़रवरी, 2015 को गोली लगने से पानसरे की मृत्यु हो गई जबकि उनकी पत्नी बच गईं।
शुरुआत में जांच राजारामपुरी पुलिस स्टेशन कोल्हापुर द्वारा की गई। उसके बाद अपराध जांच विभाग (CID) के विशेष जांच दल (SIT) को सौंप दी गई, लेकिन बाद में 2022 में ATS को सौंप दी गई।
जांच के दौरान 12 आरोपियों के नाम सामने आए। SIT ने 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया और दो आरोपी, विनय पवार और सारंग अकोलकर, फरार बताए गए।