"गौतम गंभीर ने नुकसान किया है; उनका इरादा नेक भी रहा हो तो भी यह कदाचार है" : दिल्ली हाईकोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को दवाओं की जमाखोरी की जांच का निर्देश दिया

Update: 2021-05-24 10:49 GMT

Delhi High Court

दिल्ली हाईकोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को भाजपा सांसद गौतम गंभीर और आप विधायक प्रीति तोमर और प्रवीण कुमार पर लगे COVID-19 की दवाओं जमाखोरी के तीन विशिष्ट आरोपों की जांच का निर्देश दिया है।

जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की खंडपीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राजनीतिक दलों के उन नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी, जिन्होंने बड़े पैमाने पर COVID-19 दवाओं की जमाखोरी और अवैध रूप से वितरण किया।

कोर्ट ने निर्देश दिया, "चूंकि ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के उल्लंघन के मामलों की जांच ड्रग कंट्रोलर के दायरे में आती है, इसलिए एकत्रित दस्तावेजों को ड्रग कंट्रोलर के समक्ष रखा जाना चाहिए। ड्रग कंट्रोलर जांच करें और एक सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट पेश करें।"

सुनवाई के दरमियान, एडवोकेट विराग गुप्ता ने विशेष रूप से दलील दी कि गौतम गंभीर की जमाखोरी और बिना मेडिकल कैंप लगाए लोगों को दवाएं देना यह दर्शाता है कि उनके, केमिस्ट और डॉक्टरों के बीच सांठगांठ थी, जिसकी अदालत द्वारा जांच होनी चाहिए।

इस पर जस्टिस सांघी ने मौखिक टिप्पणी की, "श्री गौतम गंभीर ने वास्तव में जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए ऐसा किया होगा। हम इस बारे में स्पष्ट हों, मुद्दा यह है कि क्या यह एक जिम्मेदार व्यवहार है? क्या उन्हें यह महसूस नहीं होना चाहिए था कि दूसरों के लिए दवाओं की कमी है। लोगों को दवा नहीं मिल रही थी, क्या उन्हें इस बारे में नहीं सोचना चाहिए था? इससे कई लोगों को परेशानी हुई। यह कोई रास्ता नहीं था।"

जस्टिस सांघी ने आगे कहा, "उन्होंने ऐसा मदद के इरादे से किया रहा होगा, मगर ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने जिस प्रकार यह किया, उससे अहित ही किया है। यह निश्चित रूप से तरीका नहीं था।"

"नेक इरादे के बावजूद यह कदाचार है। हमारे समाज में, हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते।"

एडवोकेट सत्या ने आप के दो विधायकों प्रीति तोमर और प्रवीण कुमार पर लगे जमाखोरी के आरोपों पर दलील दी कि स्टेटस रिपोर्ट में उचित तथ्यों का खुलासा नहीं किया गया है और इस मामले में दिल्ली पुलिस की जांच "घटिया" है।

इसे देखते हुए कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर की ओर से पेश अधिवक्ता नंदिता राव से कहा, "हम चाहते हैं कि आप हमें बताएं कि आपने क्या जांच की है। हम अन्य चीजों में नहीं जा रहे हैं क्योंकि सामग्री स्पष्ट नहीं है। यहां एक स्पष्ट मामला बनाया गया है। हम चाहते हैं कि आप हमें बताएं कि ऐसे लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है।"

कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को आप विधायकों पर लगे मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद के आरोपों के संबंध में पेश स्थिति रिपोर्ट के निष्कर्षों को शामिल करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने निर्देश दिया, "ऐसा प्रतीत होता है कि ड्रग कंट्रोलर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के उल्लंघन से संबंधित मामलों की जांच या अभियोजन की शक्तियों से बखूबी वाकिफ नहीं है। इसलिए प्रभावी जांच या मामलों के अभियोजन के लिए, हम जीएनसीटीडी के कानून विभाग को निर्देश देते हैं कि यह सुनिश्चित करे कि ड्रग कंट्रोलर को आवश्यक विशेषज्ञता दी जाए।"

मामले पर 31 मई को विचार किया जाएगा।

पिछली सुनवाई में अदालत ने यह कहते हुए कि राजनेताओं के पास दवाएं जमा करने का काम नहीं है, निर्देश दिया था कि ऐसी दवाएं गरीब और जरूरतमंद व्यक्तियों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में वितरित करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक को सौंप दी जानी चाहिए।

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