गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ मामला दर्ज करने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाई
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने शुक्रवार को निचली अदालत के उस आदेश पर रोक लगाई, जिसमें असम पुलिस को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ केस दर्ज करने का निर्देश दिया गया था।
दरअसल, मुख्यमंत्री हिंमत बिस्वा सरमा ने निजली अदालत के 05.03.2022 के आदेश के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका दायर की थी। याचिका में निजली अदालत के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी।
कांग्रेस सांसद अब्दुल खलीक ने पिछले साल दिसंबर में दरांग जिले के सिपाझार के धौलपुर में सीएम द्वारा बेदखली अभियान पर भड़काऊ टिप्पणी करने का आरोप लगाया था।
इससे पहले, खलीक ने सीएम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दिसपुर पुलिस से संपर्क किया, हालांकि, उन्होंने इसे खारिज कर दिया।
बाद में उन्होंने दिसपुर पुलिस स्टेशन द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के बाद पुलिस निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए 27 फरवरी को सब डिवीजनल न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसडीजेएम) की अदालत का रुख किया।
5 मार्च को, एसडीजेएम ने पुलिस को सरमा के खिलाफ कथित तौर पर यह कहने के लिए मामला दर्ज करने का निर्देश दिया कि दारांग जिले के गरुखुटी गांव में पिछले साल का निष्कासन अभियान बदला लेने के लिए किया था।
निजली अदालत ने अपने फैसले में कहा था,
"मामले का उचित तरीके से जांच करें और अंतिम रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की जाए"
इस बीच, राज्य सरकार ने एसडीजेएम अदालत के फैसले के खिलाफ गुवाहाटी उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी, जिसके बाद कल स्थगन आदेश पारित किया गया था।
महाधिवक्ता देवजीत सैकिया ने कहा,
"असम सरकार ने निचली अदालत के आदेश को इस आधार पर चुनौती देते हुए गुवाहाटी उच्च न्यायालय का रुख किया कि उस आदेश में की गई कुछ टिप्पणियों से राज्य पुलिस के लिए प्राथमिकी दर्ज करना और मामलों की जांच करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। असम राज्य के अनुसार, आदेश में की गई टिप्पणियां सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय किए गए विभिन्न कानूनों का उल्लंघन थीं।
सरमा का विवादित भाषाण
10 दिसंबर को मोरीगांव में स्वाहिद दिवस (शहीद दिवस) पर एक कार्यक्रम के दौरान, सरमा ने कथित तौर पर सितंबर में धौलपुर में निष्कासन अभियान को 1983 की घटनाओं के लिए "बदला लेने का कार्य" के रूप में वर्णित किया था।
निष्कासन अभियान का उद्देश्य एक कृषि परियोजना के लिए "भूमिहीन स्वदेशी समुदायों" के लिए सरकारी भूमि को मुक्त करने के लिए अतिक्रमणकारियों को हटानाथा।
इस निष्कासन अभियान के दौरान हिंसा भी हुई थी, जिसमें 12 साल के एक बच्चे सहित दो लोगों की मौत हो गई थी।
केस का शीर्षक: असम राज्य बनाम एस. अब्दुल खलीक
कोरम: न्यायमूर्ति हितेश कुमार सरमा
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