इंदौर जिला न्यायालय में बगैर वकालत की डिग्री के वकालत क रहा व्यक्ति गुरुवार को पुलिस की गिरफ्त में आया। यह व्यक्ति वकील की वेशभूषा में वकालत कर रहा था, जिसे इंदौर बार एसोसिएशन के वकीलों ने रंगे हाथ अदालत में पैरवी करते हुए पकड़ लिया। इंदौर के एमजी रोड पुलिस थाना द्वारा संज्ञेय अपराधों में प्रकरण दर्ज किया गया है।
इंदौर बार एसोसिएशन के वकील उज्ज्वल फणसे और अर्पित वर्मा को साथी वकीलों से सूचना मिली थी कि इंदौर जिला न्यायालय में एक व्यक्ति वकील नहीं होकर भी वकील की वेशभूषा में घूम रहा है और अदालतों में पक्षकारों की पैरवी कर रहा है। इस पर शिकायतकर्ता उज्ज्वल फणसे एवं अर्पित वर्मा ने संबंधित एमजी रोड थाना पर लिखित आवेदन दिया। पुलिस द्वारा इस आवेदन पर कार्रवाई करते हुए आरोपी शिवम पिता रवि रघुवंशी पर आईपीसी की धारा 420, 416,417,467,468 में प्रकरण दर्ज किया।
पुलिस द्वारा दर्ज किए गए प्रकरण के अनुसार आरोपी शिवम को शिकायतकर्ताओं ने इंदौर जिला न्यायालय की कोर्ट नंबर 19 में वकालत करते हुए पाया। शिकायतकर्ता के अनुसार आरोपी के पास कानून की डिग्री नहीं है उसके द्वारा कूटरचित वकील होने के प्रमाण पत्र बनाए गए और वकीलों द्वारा पहना जाने वाला बैंड गले में लगाया।
दर्ज विवरण के अनुसार आरोपी लंबे समय से अदालत में वकील का काम कर रहा था, आरोपी किसी वकील का सहायक या मुंशी भी नहीं है। आरोपी से बार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रत्नेश पाल द्वारा वकील होने के दस्तावेज मांगे जाने पर आरोपी भागने लगा। इस पर बार के दूसरे वकीलों ने आरोपी को पकड़ कर पुलिस के सुपुर्द कर दिया। पकड़ाए गए नकली वकील के पास से काला कोट, बैंड, और एडवोकेट वेलफेयर के स्टांप मिले।
बगैर डिग्री और सनद के वकालत करने पर क्या कहता है कानून
कानून का पेशा कानून द्वारा ही बनाया गया है। कोई भी व्यक्ति किसी अदालत में पेशेवर तौर पर वकील का काम तब ही कर सकता है जब उसके पास संबंधित कानून की डिग्री और स्टेट बार एसोसिएशन की सनद हो। यह प्रावधान एडवोकेट एक्ट 1961 में किये गए हैं।
एडवोकेट एक्ट में ही बगैर सनद के प्रैक्टिस करने पर दंड का भी प्रावधान है। एक्ट की धारा 45 के अनुसार कोई गैर वकील व्यक्ति यदि वकील का काम करता है तब इस अपराध पर छः महीने तक की सज़ा है। अगर नकली सनद बनाकर वकील की वेशभूषा पहनकर कोई व्यक्ति वकालत करता है तब भारतीय दंड संहिता की धारा 420,467,468 भी लागू हो जाती है। एडवोकेट एक्ट की धारा 29 के तहत अदालतों में पैरवी करने का हक़ केवल वकीलों के पास है, कोई भी व्यक्ति अपने मामले में पैरवी तो कर सकता है लेकिन किसी दूसरे के मामले में बगैर वकील हुए पैरवी नहीं कर सकता, यह केवल वकीलों का अधिकार है।