सहमति के बिना अंतरंग सामग्री ऑनलाइन पोस्ट करने की आपराधिकता के बारे में किशोरों को शिक्षित करने के लिए कार्यक्रम तैयार करें: डीएसएलएसए से दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा

Update: 2023-05-12 12:13 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट ने दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण से संबंधित व्यक्ति की सहमति के बिना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अंतरंग सामग्री पोस्ट करने की आपराधिकता के बारे में छात्रों, संभावित कमजोर पीड़ितों और किशोरों को शिक्षित करने के लिए एक कार्यक्रम तैयार करने के लिए कहा है।

जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि अदालत के समक्ष यौन उत्पीड़न के मामलों के एक बड़ी संख्या में पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि अनुचित वीडियो या तस्वीरें एक पक्ष द्वारा बनाई जाती हैं और नाबालिग लड़कियों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की धमकी देकर उनका यौन शोषण किया जाता है।

कोर्ट ने कहा,

“इसलिए, बिना सहमति या किसी प्रलोभन के यौन उत्पीड़न के मामलों में अनुचित वीडियो और तस्वीरें खींची जाती हैं, जिनका उपयोग पीड़ितों को ब्लैकमेल करने और यौन शोषण जारी रखने के लिए लंबे समय तक किया जाता है। यहां तक कि कई बार इस अदालत ने ऐसे मामले देखे हैं जहां युवा लड़कों का यौन शोषण किया गया, उन पर हमला किया गया और वे इस तरह की ब्लैकमेलिंग के शिकार हुए।

अदालत ने एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इंकार करते हुए उक्त टिप्पणियां की। जिसने बाद में पीड़िता को धमकी दी ‌थी कि अगर वह चुप नहीं रही तो वह उसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देगा।

अभियोजन पक्ष की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 328, 376 और 506 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 6 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। उसने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी ने उसके साथ फिर से शारीरिक संबंध बनाए और धर्म परिवर्तन कर उससे शादी करने का दबाव भी बना रहा था।

दूसरी ओर, यह अभियुक्त का मामला था कि अभियोजिका स्वयं सहमति से संबंध में थी और यह दलील नहीं दे सकती थी कि उसका यौन उत्पीड़न किया गया था।

अदालत ने यह देखते हुए उसे जमानत देने से इनकार कर दिया, कि आरोपी लगातार पीड़िता को धमकी दे रहा था और ब्लैकमेल कर रहा था, इस मामले में आरोप तय नहीं किए गए थे और पीड़िता से पूछताछ की जानी बाकी थी।

जस्टिस शर्मा ने आगे कहा कि आरोपी फोटो और वीडियो का इस्तेमाल धमकी देने, सामाजिक रूप से शर्मसार करने, बदनाम करने और पीड़िता को यौन संबंध बनाने के लिए ब्लैकमेल करने के लिए एक उपकरण के रूप में कर रहा था।

केस टाइटल: साकिब अहमद बनाम दिल्ली राज्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र


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