अकेले सह-अभियुक्तों के साथ वित्तीय लेनदेन एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 के तहत प्रतिबंध लगाने के लिए पर्याप्त नहीं: केरल हाईकोर्ट

Update: 2023-07-15 04:36 GMT

Kerala High Court on Section 37 NDPS Act 

केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि केवल वित्तीय लेनदेन पर निर्भरता और सह-अभियुक्त की स्वीकारोक्ति को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) की धारा 37 पर प्रतिबंध लगाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं माना जाना चाहिए।

जस्टिस ज़ियाद रहमान ए.ए. ने इस स्तर पर कोई निर्णायक निष्कर्ष निकालने से बचते हुए माना कि पर्याप्त सबूतों की अनुपस्थिति मामले में याचिकाकर्ताओं की भागीदारी के बारे में उचित संदेह पैदा करती है।

उन्होंने कहा,

"मामले के रिकॉर्ड के अवलोकन से यह देखा जा सकता है कि उपरोक्त (वित्तीय) लेनदेन के अलावा, याचिकाकर्ताओं की भागीदारी दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है। यह सच है कि दस्तावेज़ याचिकाकर्ताओं और कुछ के बीच मौद्रिक लेनदेन का संकेत देते हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या उक्त लेनदेन नारकोटिक दवाओं की बिक्री के संबंध में है। इसे स्थापित करने के लिए आरोपियों के स्वीकारोक्ति बयानों के अलावा, कुछ भी नहीं है।''

यह टिप्पणी एक जमानत याचिका में आई जहां याचिकाकर्ताओं पर एनडीपीएस एक्ट की धारा 22 (सी) और 29 (1) के तहत अपराध करने का आरोप लगाया गया।

अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि मई 2022 में, तीन व्यक्तियों को एक कार में एमडीएमए के साथ पाया गया, जिससे उनकी तत्काल गिरफ्तारी हुई। जांच के दौरान, यह पता चला कि कुछ आरोपियों द्वारा प्रतिबंधित पदार्थ की खरीद के लिए वित्तीय लेनदेन किया गया था। याचिकाकर्ता भी इन लेनदेन में शामिल पाए गए।

याचिकाकर्ताओं को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वे न्यायिक हिरासत में हैं। नियमित जमानत के लिए अपने आवेदन में उन्होंने तर्क दिया कि उनकी संलिप्तता का संकेत देने वाली कोई सामग्री नहीं है।

आगे बताया गया कि याचिकाकर्ताओं को केवल सह-अभियुक्त के स्वीकारोक्ति बयान के आधार पर फंसाया गया, जिसमें उनके अकाउंट से हुए मौद्रिक लेनदेन के बारे में विशेष संदर्भ है।

न्यायालय ने पाया कि चूंकि इसमें शामिल मात्रा वाणिज्यिक है, इसलिए एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 लागू हुई।

जस्टिस रहमान को याचिकाकर्ताओं के तर्क में दम नजर आया। यह सहमति व्यक्त की गई कि याचिकाकर्ताओं और अन्य आरोपियों के बीच वित्तीय लेनदेन नशीले पदार्थों की बिक्री में उनकी भागीदारी को निर्णायक रूप से स्थापित नहीं करते हैं।

यह भी स्पष्ट किया गया कि हालांकि मुकदमे के दौरान इस पहलू की आगे जांच की जाएगी, लेकिन पर्याप्त सबूतों की कमी याचिकाकर्ताओं की संलिप्तता के बारे में उचित संदेह पैदा करती है।

यह मानते हुए कि याचिकाकर्ताओं का कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और वे 07.02.2022 से हिरासत में हैं, अदालत ने याचिकाकर्ताओं को कड़ी शर्तों के तहत जमानत देना उचित समझा।

ऐसे में शर्तों के साथ आवेदन की अनुमति दे दी गई।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील बेसिल चांडी वावाचन, चारुथा भाईजू, जॉर्जी साइमन, चंदना भाईजू, बेसिल स्कारिया, बेसिल साजन और फातिम नवास पेश हुए। सीनियर लोक अभियोजक सी.एस. हृत्विक इस मामले में राज्य की ओर से पेश हुए।

केस टाइटल: अमल ई और अन्य बनाम केरल राज्य

ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




Tags:    

Similar News