पिता ने बेटी को नेपाल ले जाकर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया : दिल्ली हाईकोर्ट ने माता की याचिका पर सीबीआई को रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का निर्देश दिया

Update: 2022-04-24 05:30 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अमेरिकी नागरिक पिता के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है, जो अपनी पत्नी के साथ चल रहे चाइल्ड कस्टडी के वाद के बावजूद अदालत के आदेशों का उल्लंघन करके अपनी आठ वर्षीय बेटी को नेपाल ले गया।

जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की खंडपीठ मां द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका पर सुनवाई कर रही थी। खंडपीठ ने पिता के निरंतर अवमाननापूर्ण आचरण को देखते हुए सीबीआई को उसके खिलाफ ओपन एंडेड गैर-जमानती वारंट जारी करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा कि पिता का आचरण अवमाननापूर्ण है, क्योंकि वह हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद बच्चे को उसके क्षेत्राधिकार से बाहर नेपाल ले गया।

कोर्ट ने कहा,

"हम भारत गणराज्य की सरकार और नेपाल के संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य की सरकार के बीच मौजूद प्रत्यर्पण संधि के संदर्भ में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को उक्त व्यक्ति के खिलाफ ओपन एंडेड गैर-जमानती वारंट जारी करने के लिए कदम उठाने और कानून के अनुसार रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश देना उचितसमझते हैं, ताकि प्रतिवादी नंबर चार करण गोयल की इस न्यायालय के समक्ष उपस्थिति सुरक्षित की जा सके।"

मां का मामला यह है कि पिता और उसकी मां ने 16 अप्रैल को संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार द्वारा जारी किए गए नए पासपोर्ट का कथित रूप से उपयोग करके अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर नेपाल में प्रवेश किया था।

17 अप्रैल, 2022 के आदेश में हाईकोर्ट की समन्वय पीठ ने कहा था कि 15 अप्रैल से नाबालिग बच्चे को मां से बात नहीं करने दी गई है और यह आशंका है कि नाबालिग बच्चे को नेपाल सीमा के पार ले जाया गया है, जो कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन है।

तदनुसार, अदालत ने दिल्ली पुलिस को कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत आपत्तिजनक पक्षों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया।

इस पृष्ठभूमि में पिता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत को सूचित किया कि वह समन्वय पीठ द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने के इच्छुक नहीं हैं, इसलिए कोर्ट ने पिता को निर्देश दिया कि वह सुनवाई की अगली तारीख 17 मई को स्कूल जाने वाली बेटी को कोर्ट के समक्ष पेश करें।

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