'झूठी एफआईआर करने का चलन बनता जा रहा है': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही के एक फैसले में उल्लेख किया कि कैसे किसी के अहंकार को खुश करने के लिए फर्जी एफआईआर दर्ज करके कानूनी व्यवस्था का दुरुपयोग करना एक आम बात हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप शिकायतकर्ता की झूठी एफआईआर के कारण टैक्स देने वालों के धन की बर्बादी होती है।
अदालत ने शिकायतकर्ता को एक माह के भीतर एक लाख रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया। मामले के विवरण के अनुसार शिकायतकर्ता ने पहले याचिकाकर्ता को सार्वजनिक स्थान पर थप्पड़ मारा, फिर केवल अपने अहंकार को पूरा करने के लिए एफआईआर दर्ज करवाई और फिर मामले में समझौता कर लिया। यह देखते हुए अदालत ने शिकायतकर्ता पर जुर्माना लगाया।
यह याचिका भारतीय दंड संहिता की धारा 323 और 354 के तहत एक महिला की लज्जा भंग करने और अन्य अपराधों के लिए दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने आगे एक समझौते के आधार पर एफआईआर उत्पन्न होने वाली सभी परिणामी कार्यवाही को रद्द करने की मांग की।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, जिसमें कहा गया कि समझौता स्वैच्छिक था, अदालत ने कहा कि एफआईआर के एक मात्र अवलोकन ने स्थापित किया कि दोनों पक्षों ने विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया और आपराधिक मुकदमा चलाना निरर्थकता की कवायद होगी।
जस्टिस आलोक जैन ने आगे इस बात पर ध्यान दिया कि किस तरह से वर्तमान मामले की तरह केवल अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए झूठी एफआईआर दर्ज करके कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का चलन हो गया है। उन्होंने आगे इसे "एक उपयुक्त मामला कहा जहां भारतीय दंड संहिता, 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 के प्रावधानों और शिकायत के खिलाफ अन्य संबंधित प्रावधानों को लागू करके कानून के तहत उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।"
बेंच ने कहा , "आखिरकार, यह टैक्स पेयर्स का पैसा है जो शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज की गई झूठी एफआईआर के कारण बर्बाद हो रहा है।"
केस टाइटल : वरुण बग्गा बनाम पंजाब राज्य और अन्य CRM-M-16236-2022
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