मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस से फ़र्ज़ी प्रेस पहचान पत्र रखने वाले पत्रकारों की पहचान करने को कहा

Update: 2020-02-09 04:45 GMT

 Madras High Court

मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को लोक अभियोजक को निर्देश दिया कि वह पुलिस से ऐसे लोगों की पहचान करने को कहे जिनके पास फ़र्ज़ी प्रेस पहचानपत्र है और अगर वे भारत सरकार के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं तो उनके ख़िलाफ़ संबंधित क़ानून के तहत आपराधिक कार्रवाई करें।

न्यायमूर्ति एन किर्बुकरन और न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने इस बात पर ग़ौर किया कि 'ऑल इंडिया एंटी करप्शन प्रेस, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार' के नाम पर फ़र्ज़ी प्रेस पहचान पत्र जारी किए गए हैं। अदालत ने पाया कि लगभग 100 ऐसे पहचानपत्र इसी नाम से जारी किए गए हैं।

इससे पहले, 10 जनवरी 2020 को, इस पीठ ने 'फ़र्ज़ी पत्रकार' के मामले में स्वतः संज्ञान लिया था और इस बारे में तमिलनाडु सरकार, प्रेस काउन्सिल अव इंडिया और पत्रकारों से जुड़े विभिन्न संगठनों से इससे निपटें के बारे में जवाब माँगा था। पीठ ने इस मामले पर तब ग़ौर किया जब वह मूर्ति चोरी के एक मामले में उचित जाँच की माँग वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

जब ई मनोहरन, सरकार के विशेष वक़ील ने अदालत में कहा कि उन्हें खोजने के बाद भी ऑल इंडिया एंटी करप्शन प्रेस, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार' नामक किसी संस्था के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है, अदालत ने कहा कि नाम से ही पता चल रहा है कि यह ओई फ़र्ज़ी प्रेस संस्था है।

इसके बाद, अदालत ने पाया कि पाँचवें प्रतिवादी (सरकार) ने जो हलफ़नामा दायर किया है उसमें कहा गया है कि तमिलनाडु में कुल 226 पंजीकृत पत्रकार संघ हैं। अदालत ने इस बात पर भी ग़ौर किया कि राज्य भर में पत्रकारों के ख़िलाफ़ 204 मामले दर्ज हैं और यह प्रथम प्रतिवादी द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट पर आधारित है।

पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 12.02.2020 को निर्धारित की और सभी प्रतिवादियों से अपने विचार अगली सुनवाई तक जमा करने को कहा है। 

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