दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, लॉकडाउन के कारण चेक की मियाद का बीत जाना दुर्भाग्यपूर्ण; रिज़र्व बैंक की राय मांगी
बैंक की शाखा को महामारी की वजह से सील किए जाने के कारण चेक की मियाद ख़त्म हो जाने को दिल्ली हाईकोर्ट ने 'दुर्भाग्यपूर्ण मुद्दा' बताया। न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने इस बारे में रिज़र्व बैंक की राय मांगी है।
अभिनव चावला नामक एक व्यक्ति ने यह याचिका दायर की थी जिनका ₹10 लाख रुपए के एक चेक की मियाद समाप्त हो गई क्योंकि बैंक की शाखा को COVID-19 की वजह से सील कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता के वकील अधिश श्रीवास्तव ने कहा कि चूंकि चेक को समय पर ही बैंक में जमा करा दिया गया था, इसलिए अगर बैंक इसको भुना नहीं पाया तो इसके लिए जमाकर्ता को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
याचिकाकर्ता ने कहा कि रिज़र्व बैंक या वित्त मंत्रालाय ने इस तरह की स्थिति को सोचकर कोई दिशानिर्देश/विनियमन जारी नहीं किया है। लॉकडाउन के कारण इस तरह की स्थिति पैदा हो सकती है, अथॉरिटीज़ को इसका अनुमान लगाना चाहिए था।
हालांकि, रिज़र्व बैंक ने विधानिक प्रावधान होने की वजह से इस बारे में कुछ भी नहीं कर पाने की बात कही पर अब हाईकोर्ट ने उससे जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता को कहा गया है कि वह इस मामले में चेक जारी करने वाले और बैंकर को पक्षकार बनाए ताकि इस मामले में समग्र दृष्टि प्राप्त हो सके।
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