दिल्ली कोर्ट ने पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी को बिस्तर पर लेटकर वर्चुअल सुनवाई में शामिल होने पर चेतावनी दी

Update: 2021-12-25 08:48 GMT

दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को अपने बिस्तर पर लेटे हुए वर्चुअल सुनवाई में शामिल होने के बाद भविष्य में सावधान रहने की चेतावनी दी।

विशेष न्यायाधीश, सीबीआई, संजीव अग्रवाल 1994 के अपहरण मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसमें सुमेध कुमार सैनी एक आरोपी हैं। इसलिए वह वीसी (सिस्को वीबेक्स ऐप) के माध्यम से कार्यवाही में शामिल थे।

हालांकि, मामले की कार्यवाही के दौरान कोर्ट ने पाया कि वह बिस्तर पर लेटते हुए वीसी की कार्यवाही/अदालत में शामिल हुए थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है और उन्हें बुखार है।

हालांकि, इस संबंध में उनके द्वारा कोई चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। न ही रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया।

इस पर कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा:

"आरोपी नंबर एक को तदनुसार, वीसी के माध्यम से कार्यवाही/अदालत में उपस्थित होने के दौरान, भविष्य में सावधान रहने और अदालत की मर्यादा बनाए रखने की चेतावनी दी जाती है।"

गौरतलब है कि सैनी और तीन अन्य पुलिसकर्मियों पर वर्ष 1994 में लुधियाना के एक व्यक्ति के अपहरण और हत्या का आरोप लगाया गया है। पहले इस मामले की सुनवाई हरियाणा की एक अदालत में चल रही थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इसका मुकदमा दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था।

सीबीआई ने सैनी और अन्य आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश, गलत तरीके से रोक लगाने और आईपीसी को गलत तरीके से बंद करने के लिए अपहरण या अपहरण से संबंधित विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया है।

सैनी मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए पेश हुए थे। हालांकि, चूंकि चिकित्सा आधार पर गवाह की ओर से छूट का अनुरोध प्राप्त हुआ था, अदालत ने गवाह की याचिका को स्वीकार कर लिया और मामले को 15 जनवरी, 2022 को आगे की कार्यवाही के लिए सूचीबद्ध किया।

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में वर्चुअल कोर्ट में एक महिला के साथ कामुकता में लिप्त वकीलों के एक के वीडियो क्लिपिंग के वायरल होने के बाद एक स्वत: संज्ञान लेकर मामले पर आपराधिक अवमानना ​​​​कार्यवाही दर्ज की।

जस्टिस पी.एन. प्रकाश और जस्टिस आर हेमलता ने कहा:

"जब अदालत की कार्यवाही के बीच इस तरह की बेशर्म अश्लीलता को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाता है तो यह अदालत मूकदर्शक बने रहने और नज़रअंदाज़ करने का जोखिम नहीं उठा सकती।"

हाल ही में एक अर्ध-नग्न व्यक्ति कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुनवाई में शामिल हुआ था। इस दौरान अदालत राज्य के पूर्व मंत्री रमेश जारकीहोली से जुड़े कथित सेक्स सीडी घोटाले में एसआईटी जांच की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई कर रही थी।

मामले में पीड़ित की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने श्रीधर भट्ट नाम के व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

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