EPF Pension: दिल्ली हाईकोर्ट ने EPFO को अधिक पेंशन वसूली नोटिस के आधार पर कठोर कदम उठाने पर रोक लगाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) को कई वर्षों से प्राप्त उच्च पेंशन पर अंतर राशि की वसूली करने के लिए विभिन्न पेंशनभोगियों को जारी किए गए नोटिसों के संबंध में कोई कठोर कदम उठाने से रोक दिया।
जस्टिस रेखा पल्ली ने चार पेंशनभोगियों द्वारा दायर याचिकाओं पर अंतरिम आदेश पारित किया, जो विभिन्न संगठनों से अपनी सेवानिवृत्ति के बाद EPFO द्वारा 2018/19 में मांगे गए विकल्पों के आधार पर उच्चतम पेंशन प्राप्त कर रहे थे।
पेंशनरों ने EPFO द्वारा 20 फरवरी को जारी पत्र को चुनौती दी, जिसमें सभी क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्तों को निर्देश दिया गया कि वे उन सभी व्यक्तियों की उच्च पेंशन को रोकने के लिए कार्रवाई करें, जो सेवानिवृत्ति से पहले उच्च पेंशन के लिए कोई विकल्प दिए बिना 01.09.2014 से पहले सेवानिवृत्त हुए।
अदालत ने कहा,
"नतीजतन, अगली तारीख तक प्रतिवादी पिछले कई वर्षों से प्राप्त उच्च पेंशन के कारण अंतर राशि की वसूली करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं को जारी किए गए नोटिसों को आगे बढ़ाने के लिए कोई भी कठोर कदम उठाने से रोके रहेंगे।”
पेंशनभोगियों ने अधिकारियों द्वारा 01 मई को पारित आदेश को भी चुनौती दी, जिसमें उन्हें उच्च पेंशन के विकल्पों के आधार पर पेंशन के लिए प्राप्त अंतर राशि को अधिकतम सीमा से अधिक वापस करने का निर्देश दिया गया।
पेंशनरों की ओर से यह प्रस्तुत किया गया कि एक बार जब अधिकारियों ने स्वयं उन्हें उच्च पेंशन का विकल्प चुनने का विकल्प दिया, जिसका विधिवत प्रयोग किया गया तो वे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन और अन्य बनाम सुनील कुमार बी व अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या नहीं कर सकते।
यह भी प्रस्तुत किया गया कि इसी तरह की याचिकाएं केरल हाईकोर्ट, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट और हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष दायर की गईं, जिसमें अंतरिम आदेश पारित किए गए और EPFO को 01.01.2023 को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया गया।
जस्टिस पल्ली ने याचिका में नोटिस जारी करते हुए कहा कि अधिकारियों ने इस बात से इनकार नहीं किया कि उन्हें यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देने वाले अंतरिम आदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित किए गए।
अदालत ने आदेश दिया,
"तदनुसार, जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए प्रतिवादियों को छह सप्ताह का समय और उसके प्रति जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय देते हुए यह उपरोक्त तीन हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों के साथ समानता के कारणों के लिए है, प्रतिवादियों को स्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया जाता है। याचिकाकर्ताओं को 01.01.2023 की स्थिति के अनुसार पेंशन प्राप्त हो रही है।“
इसमें कहा गया कि अंतरिम निर्देश सुनील कुमार बी मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने फैसले के किसी भी स्पष्टीकरण के अधीन होगा।
मामले की सुनवाई अब 21 सितंबर को होगी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील कुशांक सिंधु, अभिषेक के. सिंह, अपाली कौशल, अनमोल सिंह, मनप्रीत कौर और सुमन एन रावत पेश हुए।
EPFO के सरकारी वकील सिद्धार्थ और एडवोकेट अमित के. अग्रवाल ने उत्तरदाताओं का प्रतिनिधित्व किया।
केस टाइटल: पान सिंह रावत बनाम भारत संघ और अन्य। और अन्य जुड़े मामले
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