"पूरा पुलिस डिपार्टमेंट हिरासत में मौत का कारण बनने वाले पुलिसकर्मियों को बचा रहा है" : पटना हाईकोर्ट ने आरोपी पुलिस वाले की अग्रिम ज़मानत याचिका खारिज की

Update: 2021-12-10 12:15 GMT

पटना हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि पूरा पुलिस विभाग दो व्यक्तियों की हिरासत में मौत का कारण बनने वाले पुलिसकर्मियों को बचा रहा है, इस मामले में एक पुलिसकर्मी द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति संदीप कुमार की खंडपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि हिरासत में मौत का मामला वर्ष 2019 का है, आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

न्यायालय इस मामले में आरोपी अरुण कुमार की अग्रिम जमानत याचिका पर विचार कर रहा था, जिसने प्रस्तुत किया कि कथित घटना के समय, वह ओडी ड्यूटी पर था और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज एकत्र करने के लिए स्टेशन हाउस अधिकारी द्वारा वहां भेजा गया था।

आगे यह भी कहा गया कि चूंकि वह अपराध में शामिल नहीं था, इसलिए वह अग्रिम जमानत का हकदार है।

यह देखते हुए कि एक आरोपी व्यक्ति यानी स्टेशन हाउस ऑफिसर का सर्टिफिकेट या ऐसा कोई पत्र याचिकाकर्ता के बचाव में काम नहीं आएगा, अदालत ने आगे टिप्पणी की:

कोर्ट ने कहा,

"ऐसा प्रतीत होता है कि पूरा पुलिस स्टेशन दो व्यक्तियों की हत्या में शामिल है ... ऐसी परिस्थितियों में याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने के लिए यह उपयुक्त मामला नहीं है। तदनुसार, यह अग्रिम जमानत आवेदन खारिज किया जाता है।"

इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि मामला वर्ष 2019 का है और कोर्ट द्वारा कोई अंतरिम संरक्षण नहीं होने के बावजूद याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया गया, इसलिए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को एक सप्ताह की अवधि के भीतर निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।

महत्वपूर्ण बात यह है कि न्यायालय के आदेश के अनुसार, यदि वह एक सप्ताह की उक्त अवधि के भीतर आत्मसमर्पण करने में विफल रहता है तो पुलिस अधीक्षक, सीतामढ़ी, अगले एक सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करेगा और इस संबंध में अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करेगा।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, डुमराह (सीतामढ़ी, बिहार) पुलिस स्टेशन द्वारा दो लोगों, 30 वर्षीय गुफरान आलम और 32 वर्षीय तस्लीम अंसारी को डकैती और हत्या के मामले में हिरासत में लिया गया था और उसके बाद उन्हें कथित तौर पर प्रताड़ित किया गया था। 7 मार्च 2019 को पुलिस हिरासत में उनकी मौत हो गई थी।

दफनाने से पहले उनके शरीर को धोए जाने की तस्वीरें और एक वीडियो क्लिप में कीलों के निशान दिखाई दे रहे थे।

केस का शीर्षक - अरुण कुमार बनाम बिहार राज्य

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