''पति के साथ काफी मानसिक क्रूरता हुई'' : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने क्रूरता के आधार पर पति के पक्ष में दिया गया तलाक का आदेश बरकरार रखा

Update: 2022-05-18 11:45 GMT

Punjab & Haryana High court

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में फैमिली कोर्ट के फैसले और डिक्री के खिलाफ एक महिला की तरफ दायर उस अपील को खारिज कर दिया, जिसके तहत शादी को भंग करने की मांग करने वाली उसके पति की याचिका को अनुमति दे दी गई थी। फैमिली कोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए तलाक की डिक्री  दी थी।

जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस अशोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि मौजूदा मामले में, पत्नी के कृत्यों से पति के साथ काफी मानसिक क्रूरता हुई है और इस प्रकार, अदालत ने पत्नी की तरफ से दायर अपील को खारिज कर दिया।

संक्षेप में मामला

अपीलकर्ता-पत्नी (हरबंस कौर) का विवाह दिसंबर 1992 में प्रतिवादी-पति (जोगिंदर पाल) के साथ संपन्न हुआ था। मई 2011 में, अपीलकर्ता-पत्नी ने घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत एक याचिका दायर की, और वह खारिज कर दी गई। उक्त आदेश के विरुद्ध दायर अपील भी खारिज कर दी गई।

अपीलार्थी-पत्नी ने प्रतिवादी-पति के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 325, 506 और 34 के तहत एक एफआईआर भी दर्ज करवाई थी,परंतु उस मामले में भी प्रतिवादी-प्रति को बरी कर दिया गया।

तलाक की मांग करने वाली अपनी याचिका में, पति ने कहा कि पत्नी ने उसके स्वामित्व और कब्जे वाली कृषि भूमि पर जबरन कब्जा करने की कोशिश की थी, और वर्तमान में, अपीलकर्ता के खिलाफ जिला न्यायालय, करनाल में एक दीवानी मुकदमा लंबित है।

आगे यह भी आरोप लगाया गया कि अपीलकर्ता-पत्नी वर्ष 2012 में किसी व्यक्ति के साथ व्यभिचार में रह रही है और उसने प्रतिवादी को उसके चार बच्चों के साथ जबरन घर से बाहर कर दिया था।

तब से पति किराए के मकान में रह रहा है और दोनों के बीच कोई सहवास नहीं हुआ है। इसके अलावा, जब प्रतिवादी-पति ने उनकी बेटी की शादी तय की तो उसने पत्नी से शादी में शामिल होने का अनुरोध किया, लेकिन उसने ताना मारते हुए कहा कि उसे प्रतिवादी और उसके बच्चों से कोई सरोकार नहीं है।

इसी पृष्ठभूमि में पति ने तलाक की याचिका दायर की थी।

कोर्ट की टिप्पणियां

शुरुआत में, कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि पत्नी द्वारा पति व उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दायर की गई एक भी शिकायत का झूठा पाया जाना क्रूरता की श्रेणी में आता है।

कोर्ट ने कहा कि,

''यदि पति और पत्नी एक साथ रह रहे हैं और पति पत्नी से बात नहीं करता है, तो यह मानसिक क्रूरता का कारण होगा। वहीं एक पति या पत्नी दूर रहकर अश्लील और मानहानि पत्र या नोटिस भेजकर या अश्लील आरोपों वाली शिकायत दर्ज करके या कई सारी न्यायिक कार्यवाही शुरू करके दूसरे पति या पत्नी के जीवन को अत्यंत दुखी बना सकता है।''

इसके अलावा, अदालत ने मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कहा कि एफआईआर में बरी होने और पति के खिलाफ दायर घरेलू हिंसा की शिकायत खारिज किए जाने के बाद, यह कहा जा सकता है कि उसके साथ काफी मानसिक क्रूरता हुई है। नतीजतन, पत्नी की अपील खारिज कर दी गई।

केस टाइटल - हरबंस कौर बनाम जोगिंदर पाल, एफएओ-एम-272/2017

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