किसी विशेष पद पर भर्ती के लिए उच्च योग्यता प्राप्त उम्मीदवारों को बाहर रखने का नियोक्ता का निर्णय उचित है: जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

Update: 2021-11-22 09:26 GMT

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक विशेष पद के लिए निर्धारित योग्यता से उच्चतर कोई भी योग्यता उपयुक्त योग्यता नहीं हो सकती है, और कहा कि नियोक्ता का अपने विवेकानुसार, उच्च योग्यता प्राप्त उम्मीदवारों को चयन के दायरे से बाहर रखना उचित है।

जस्टिस संजय धर और जस्टिस अली मोहम्मद माग्रे की खंडपीठ ने कहा कि क्लास- 4 पद के लिए न्यूनतम और अधिकतम योग्यता क्रमशः मैट्रिक और 10+2 रखना ना तो तर्कहीन, अनुचित और ना ही मनमाना है।

मामला

न्यायालय अपीलकर्ता द्वारा दायर एक लेटर पेटेंट अपील का निस्तारण कर रहा था, जिसमें सिंगल जज के आदेश पर सवाल उठाया गया था, जिसमें उसने कहा था कि उच्च योग्यता प्राप्त उम्मीदवार आवेदन करने के लिए पात्र नहीं हैं, जबकि विज्ञापन में न्यूनतम और अधिकतम योग्यता निर्धारित किया गया है।

इसके साथ, रिट कोर्ट ने घोषित किया कि अपीलकर्ता एक परिचारक (चतुर्थ श्रेणी) [जम्मू और कश्मीर लोक सेवा में] के पद के लिए अयोग्य था और इसलिए, विचाराधीन पद के लिए आवेदन नहीं कर सकता था।

उसी को चुनौती देते हुए उसने डिवीजन बेंच के समक्ष अपील दायर की।

आदेश

कोर्ट ने कहा कि जम्मू और कश्मीर लोक सेवा में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति जम्मू-कश्मीर में चतुर्थ श्रेणी (विशेष भर्ती) नियम, 2020 के अनुसार होनी चाहिए।

कोर्ट ने यह भी नोट किया कि चतुर्थ श्रेणी के पदों की भर्ती के लिए जारी सरकारी अधिसूचना में न्यूनतम और अधिकतम योग्यता क्रमशः मैट्रिक और 10+2 होता है, यहां तक कि विचाराधीन अधिसूचना भी विशेष रूप से समान योग्यता प्रदान करती है।

महत्वपूर्ण रूप से, किसी विशेष पद के लिए योग्यता निर्धारित करने के लिए नियोक्ता के विवेक के संबंध में, न्यायालय ने नोट किया कि किसी भी पद के लिए उपयुक्तता और योग्यता नियोक्ता द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए और ये न्यायिक रूप से हस्तक्षेप करने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं, जब तक और जब तक कि उस संबंध में नीतिगत निर्णय तर्कहीन या मनमाना नहीं पाया जाता है ।

इस पृष्ठभूमि में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्तियों के मामले का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा,

" ... निर्धारित 10+2 से अधिक योग्यता कई कारणों से उपयुक्त नहीं हो सकती है; पहला यह कि एक उच्च योग्यता प्राप्त व्यक्ति चतु‌र्थ श्रेणी के लिए आवश्यक कार्य करने की स्थिति में नहीं हो सकता है। दूसरी बात, यदि ऐसे उच्च योग्यता प्राप्त उम्मीदवारों को कम योग्यता प्राप्त, जैसा कि निर्धारित किया गया है, उम्मीदवारों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी जाती है तो यह स्पष्ट है कि वे उनसे अध‌िक अंक प्राप्त करेंगे और अपेक्षित योग्यता प्राप्त उम्मीदवारों का नुकसान करते हुए चयनित हो जाएंगे।और तीसरी बात यह कि उच्च योग्यता प्राप्त ऐसे उम्मीदवार, यदि चयनित हो जाते हैं, तो हमेशा एक बेहतर नौकरी की तलाश में रहते हैं और जैसे ही उन्हें बेहतर नौकरी के लिए चुना जाता है, वे चतुर्थी श्रेण‌ि के पद को छोड़ देते हैं, जिससे पूरा चयन बेकार हो जाता है, जिसके बाद नियोक्ता की मजबूरी होती है कि उन पदों को फिर से विज्ञापित करे और फिर से भरे।"

कोर्ट ने चीफ मैनेजर, पंजाब नेशनल बैंक और अन्य बनाम अनीत कुमार दास, सिविल अपील संख्या 3602 ऑफ 2020 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लेख किया , जिसमें यह देखा गया था कि बैंक में चपरासी पद के लिए 12 वीं पास की योग्यता उचित है क्योंकि यह बैंक द्वारा लिया गया एक सचेत निर्णय है और किसी भी उच्च योग्यता प्राप्त उम्मीदवार को पद के लिए पात्र के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती है।

अंत में, अपील को खारिज करते हुए, कोर्ट ने इस प्रकार जोड़ा, " हम जो व्यक्त करना चाहते हैं वह यह है कि उच्च योग्यता प्रत्येक पद के लिए उपयुक्त योग्यता नहीं हो सकती है और यदि उच्च योग्यता प्राप्त उम्मीदवारों को बाहर रखा जाता है, तो इस संबंध में विद्वान एकल न्यायाधीश के विचार को गलत नहीं कहा जा सकता है और इसे अवैध या विकृत नहीं कहा जा सकता है।"

केस शीर्षक - फिरदौस अहमद गनई बनाम जम्मू कश्मीर और अन्य राज्य

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