ड्राइविंग लाइसेंस: हाईकोर्ट ने आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा जारी किए गए फिटनेस प्रमाणपत्रों को स्वीकार न करने पर केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार के साथ-साथ दिल्ली सरकार को आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सकों द्वारा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन या ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए जारी मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्रों को स्वीकार न करने को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। भले ही ऐसे प्रमाण पत्र ऑफ़लाइन स्वीकार किए जाते हैं।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सकों के एक संघ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एएसजी चेतन शर्मा से कहा,
"मोटर वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र देने की योजना के तहत उन्हें अनुमति है। अब आपने एक सॉफ्टवेयर डेवेलप किया है। इसमें कहा गया कि केवल एमबीबीएस योग्यता वाले व्यक्ति ही अनुदान दे सकते हैं। यदि आप नियमों में संशोधन करते हैं, तो यह अलग है, अन्यथा आपके पास ऐसा सॉफ्टवेयर कैसे हो सकता है? ऑफलाइन यह स्वीकार किया जा रहा है, ऑनलाइन उन्हें अनुमति नहीं है। यह कैसे हो सकता है?"
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 8 में ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए प्रत्येक आवेदन के साथ एक 'चिकित्सा फिटनेस प्रमाणपत्र' प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
याचिकाकर्ता संगठन ने दावा किया था कि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र ने सड़क और परिवहन मंत्रालय के निर्देश पर 'सारथी' नाम का एक सॉफ्टवेयर बनाया है। इस सॉफ्टवेयर पर यह आरोप है कि यह केवल एमबीबीएस की डिग्री रखने वाले चिकित्सकों द्वारा जारी प्रमाण पत्र स्वीकार करता है। इस प्रकार हजारों आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सकों द्वारा जारी चिकित्सा प्रमाणपत्रों को यह छोड़ देता है।
शुरुआत में बेंच ने कहा कि जब तक क़ानून में उल्लेख किया गया कि याचिकाकर्ताओं के पास प्रमाणपत्र जारी करने की शक्ति है, उनके पक्ष में एक प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
न्यायाधीश ने कहा,
"प्रथम दृष्टया आप जो कह रहे हैं वह सही है.. यह (सॉफ्टवेयर) एक गलती हो सकती है, एक अनजाने में हुई गलती।"
याचिकाकर्ता की वकील तान्या अग्रवाल ने जवाब दिया,
"इसीलिए हमने अपनी प्रार्थना को सॉफ्टवेयर में संशोधन तक सीमित कर दिया है।"
याचिका में कहा गया कि पूरे देश में आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सकों सहित भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक ड्राइविंग लाइसेंस के पंजीकरण/नवीनीकरण के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र सहित सभी आवश्यक उद्देश्यों के लिए प्रमाण पत्र जारी करने के हकदार हैं। हाल ही में परिवहन विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों को जारी किया गया है। उनके द्वारा जारी किए गए मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट को स्वीकार करना चाहिए।
हालाँकि, हाल ही में परिवहन विभाग के अपलोड किए गए (सारथी) सॉफ्टवेयर में केवल एमबीबीएस की डिग्री रखने वाले चिकित्सकों का उल्लेख है, जो ऐसा प्रमाण पत्र जारी करने के लिए पात्र हैं, जो कानून, नियमों और विनियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। साथ ही यह याचिकाकर्ताओं के खिलाफ भेदभाव है और इस तरह उन्हें उनके मूल्यवान वैधानिक अधिकार से वंचित करना है।
याचिका में कहा गया,
"भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों द्वारा जारी किए गए चिकित्सा प्रमाणपत्रों की गैर-स्वीकृति भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत अनुच्छेद 19 (1) (जी), 14 और 21 के तहत मौलिक अधिकार का सरासर उल्लंघन है।"
केस शीर्षक: इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (AYUS) बनाम GNCTD