डॉ अम्बेडकर संविधान निर्माता हैं, सभी सरकारी लॉ कॉलेजों में उनका चित्र लगाएं: मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2022-08-19 11:10 GMT

मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने लॉ कॉलेजों में डॉ बीआर अम्बेडकर का चित्र लगाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने निदेशक, कानूनी अध्ययन, चेन्नई को सभी सरकारी लॉ कॉलेजों में डॉ अम्बेडकर के चित्रों की स्थापना के लिए एक परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह‌ निर्देश कानून के छात्र के निलंबन के खिलाफ दायर याचिका पर दिया है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,

"डॉ अम्बेडकर भारतीय संविधान के निर्माता हैं। वह सामाजिक मुक्ति के प्रतीक हैं। उनकी विद्वता अद्वितीय है। वह कानून के हर छात्र के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा हो सकते हैं। कानूनी अध्ययन निदेशक, चेन्नई से अनुरोध है कि तमिलनाडु के सभी सरकारी लॉ कॉलेजों में डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर के चित्र की स्थापना को अनिवार्य करते हुए परिपत्र जारी करें।

जज ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके कक्षों में भी डॉ अम्बेडकर की तस्वीरें हों।

मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता ने प्राचार्य के कार्यालय में डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर का चित्र लगाने और पाठ्यक्रमों को तमिल भाषा में पढ़ाने की मांग की थी। हालांकि, उन्होंने प्रधानाध्यापक के ‌‌खिलाफ असभ्य और अपमानजनक शब्द कहे थे और अनुशासनहीन तरीके से व्यवहार किया था।

कोर्ट ने फैसले में सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता प्रधानाध्यापक से लिखित माफी मांग सकता है, जिसके बाद कॉलेज प्रबंधन इस मामले को समाप्त मान सकता है। अदालत ने सरकारी वकील को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि प्रिंसिपल के कार्यालय में डॉ अम्बेडकर का चित्र लगाया जाए।

जब सरकारी एडवोकेट द्वारा उपरोक्त निर्देशों के अनुपालन की सूचना दी गई तो याचिकाकर्ता को भी अदालत के सुझाव को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। उन्होंने एक लिखित पत्र लिखकर प्रिंसिपल से बिना शर्त माफी मांगते हुए कॉलेज के टीचिंग स्टाफ को सौंप दिया।

अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अनुसूचित जाति से है, वह हिंसा के किसी भी कृत्य में लिप्त नहीं था और एक वैध सार्वजनिक कारण के साथ खड़ा था। उसने अपने कार्यों के लिए ईमानदारी से माफी भी मांगी है। इसलिए, आनुपातिकता के सिद्धांत की मांग है कि मामले को समाप्त किया जाए।

कोर्ट ने हाईकोर्ट एडवोकेट्स वेलफेयर बोर्ड ट्रस्ट को याचिकाकर्ता को 10,000 रुपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया, जो उसे मानक कानून ग्रंथ खरीदने में मदद करेगा। अदालत ने याचिकाकर्ता को पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।

केस टाइटल: एस शशिकुमार बनाम कुलपति और अन्य

केस संख्या: WP (MD)No 17892 of 2022

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (Mad) 357

फैसला पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

Tags:    

Similar News