दहेज हत्या-''अपराध बेरहम पति की क्रूरता और लालच को दर्शाता है" : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्नी को जलाने के आरोपी को जमानत देने से इनकार किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में उस पति को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिस पर दहेज की मांग करते हुए अपनी 22 वर्षीय पत्नी को जलाने और उसके बाद उसके शव को एक गुप्त स्थान पर दफनाने का आरोप लगाया गया है।
जस्टिस विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ ने बबलू (मृतका के पति) को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि आरोपी पति का कथित कृत्य, एक बेरहम पति और नवजात बच्चे के आत्मकेंद्रित गैर जिम्मेदार पिता की क्रूरता और लालच को दर्शाता है।
संक्षेप में मामला
मृतक/पीड़िता का विवाह घटना की तिथि (दिसंबर 2013) से लगभग तीन वर्ष पूर्व आरोपी आवेदक से हुआ था और विवाह होने के बाद से ही मृतक के ससुराल वाले उस पर अतिरिक्त दहेज लाने का दबाव बनाने लग गए थे।
कथित तौर पर, वे उस पर उसके पिता की जमा राशि से काफी राशि लाने का दबाव डाल रहे थे और चूंकि गरीबी व पिता की बदहाली के कारण उनकी मांग पूरी नहीं हो पाई, इसलिए वे पीड़िता को बार-बार पीटते थे।
प्राथमिकी के अनुसार, अंत में जब उनको समझ आ गया कि गरीबी के चलते उसका पिता उनकी अतिरिक्त दहेज की मांग को पूरा नहीं कर पाएगा तो सभी ने मिलकर उसकी हत्या कर दी और चुपके से उसके शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया।
मामले में मृतका के पिता द्वारा प्राथमिकी दर्ज करवाई गई और आरोपी-आवेदक (पति) के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए, 304-बी, 201 और दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3/4 के तहत मामला दर्ज किया गया। जांच के दौरान, शव को दफनाने की जगह से निकाला गया और गवाहों के समक्ष जांच-पड़ताल की सारी कार्यवाही पूरी की गई।
न्यायालय की टिप्पणियां
शुरुआत में, अदालत ने कहा कि आरोपी-आवेदक ने खुद अपनी पत्नी की मौत से पहले दहेज की मांग करते हुएउसकी बेरहमी से पिटाई की थी,जो उसकी मौत का कारण बनी है, क्योंकि प्रथम दृष्टया मृतका के शरीर पर पाए गए चोटों के निशान से यह स्थापित हो रहा है।
न्यायालय ने आगे कहा कि यह भी प्रथम दृष्टया स्थापित हो गया है कि मृत शरीर को जलाया गया और फिर एक गुप्त स्थान पर दफना दिया गया और मृतक के पिता व परिवार के अन्य सदस्यों को उसकी मृत्यु की कोई जानकारी नहीं दी गई। कोर्ट ने माना कि यह सभी तथ्य आरोपी की आपराधिक मनःस्थिति को दर्शाते हैं।
कोर्ट ने कहा कि इन परिस्थितियों से यह स्थापित हो गया है कि मृतका की मृत्यु सुनियोजित और सोची-समझी हत्या का परिणाम थी। उपरोक्त परिस्थितियों में, न्यायालय ने पति को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि,
''... 22 साल की महिला और एक साल के बच्चे की मां के साथ की गई क्रूरता,जो उसकी मौत का कारण बनी है और वर्तमान आरोपी आवेदक 'उसके पति' द्वारा उसे क्रूरता से पीटना न केवल प्रकृति में गंभीर है, बल्कि जघन्य भी है। वहीं यह सब तथ्य एक बेरहम पति और नवजात बच्चे के आत्मकेंद्रित गैर-जिम्मेदार पिता की क्रूरता और लालच को दर्शाते हैं। अभियोजन पक्ष द्वारा चार्जशीट में पेश किए गए सभी गवाहों के बयान अभी दर्ज नहीं हुए हैं और अभी भी कई महत्वपूर्ण गवाहों के बयान दर्ज होने बाकी हैं। इस मामले में आवेदक की क्रूर प्रकृति और प्रवृत्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में निश्चित रूप से गवाहों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।''
अंत में, यह मानते हुए कि अभियोजन पक्ष प्रथम दृष्टया आरोपी-आवेदक के खिलाफ अपना मामला स्थापित करने में सफल रहा है(जो मामले का मुख्य आरोपी है), अदालत ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया।
केस का शीर्षक -बबलू द्वितीय जमानत आवेदन बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
केस उद्धरण- 2022 लाइव लॉ (एबी) 33
आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें