लोगों को टीकाकरण के लिए समझाएं, मना करने पर उन्हें निरुत्साहित करें: मेघालय हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

Update: 2021-12-17 09:08 GMT

मेघालय हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार से कहा कि वह टीकाकरण अभियान पर नरम न पड़े, लोगों को टीकाकरण के लिए राजी करने की कोशिश करे, यहां तक कि यदि वह टीकाकरण से इनकार करते हैं तो उन्हें निरुत्साहित करने के प्रावधान करे। हाईकोर्ट राज्य में COVID महामारी के निस्तारण के संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही था।

चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जसिटस डब्ल्यू डिएंगदोह की खंडपीठ ने उक्त निर्देश जारी किए। याचिका पर अगली सुनवाई फरवरी, 2022 में होगी।

पिछली सुनवाई (6 दिसंबर) में कोर्ट ने नोट किया था कि टीकाकरण के संबंध में कुछ क्षेत्र में हिचक है। इसलिए, कोर्ट ने राज्य सरकार को जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया था। साथ ही कहा ‌था, लोगों को खुद के लिए ही नहीं बल्कि दूसरों की सुरक्षा के लिए भी टीका लगाने के लिए मानाया जाना चाहिए। कोर्ट ने इसके लिए आक्रामक नीति अपनाने के लिए कहा था।

6 दिसंबर को कोर्ट ने राज्य सरकार, जिला परिषदों और मेघालय राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण सहित अन्य प्राधिकरणों को लोगों को जागरूक करने और उन्हें टीकाकरण के लिए मनाने के लिए एक अभियान चलाने के लिए कहा था।

न्यायालय ने राज्य को नियम या दिशानिर्देश बनाने की भी छूट दी थी, ताकि टीकाकरण कराने के इच्छुक व्यक्ति दूसरों के सामने खुद को एक्सपोज़ न करें। उल्लेखनीय है कि मेघालय हाईकोर्ट ने पहले ही कह चुका है कि अनिवार्य या बलपूर्वक टीकाकरण कानून द्वारा समर्थित नहीं है, और इसलिए इसे गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए।

चीफ जस्टिस बिश्वनाथ सोमद्देर और जस्टिस एचएस थांगखीव ने जून 2021 में कहा था,

" स्वास्थ्य का अधिकार अनुच्छेद 21 में मौलिक अधिकार के रूप में शामिल है। उसी तर्क से स्वास्थ्य देखभाल का अधिकार, जिसमें टीकाकरण शामिल है, मौलिक अधिकार है। हालांकि, ताकत द्वारा टीकाकरण या टीकाकरण को जबरदस्ती के तरीकों को अपनाकर अनिवार्य बनाना, इससे जुड़े कल्याण के मूल उद्देश्य को विकृत करता है। यह मौलिक अधिकार (अधिकारों) को प्रभावित करता है, खासकर जब यह आजीविका के साधनों के अधिकार को प्रभावित करता है.."

मेघालय हाईकोर्ट ने पुट्टस्वामी के फैसले पर प्रमुख रूप से भरोसा करते हुए अनिवार्य टीकाकरण को निजता के मौलिक अधिका‌र के उल्लंघन के रूप में माना ‌था।

केस शीर्षक- रजिस्ट्रार जनरल, हाईकोर्ट बनाम मेघालय राज्य

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