दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (DHCBA) ने हाईकोर्ट के उस निर्णय पर चिंता व्यक्त की, जिसके तहत साल 2025 में दिल्ली हाईकोर्ट की हर बेंच हर महीने एक कार्यशील शनिवार रखेगी।
DHCBA के अध्यक्ष, सीनियर एडवोकेट एन हरिहरन द्वारा हस्ताक्षरित प्रतिनिधित्व 17 अक्टूबर को लिखा गया।
पत्र में कहा गया कि दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन फुल कोर्ट के फैसलों का अत्यंत सम्मान करता है और उसकी सभी पहलों का पूरा समर्थन करता है लेकिन इस तरह का निर्णय लेने से पहले बार से न तो सलाह ली गई और न ही उसे सूचित किया गया।
बार एसोसिएशन ने कहा,
"कोर्ट के कामकाज में वकीलों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक रूप से शामिल होती है। इसलिए बार के साथ किसी भी तरह के परामर्श के अभाव ने वास्तविक कठिनाई और बहिष्करण की भावना पैदा की है।"
DHCBA ने अपनी आपत्ति में कहा कि इस नई व्यवस्था के अनुसार बार के सदस्यों को हर शनिवार को उन बेंचों के लिए उपलब्ध रहना होगा, जो अलग-अलग तारीखों पर बैठ सकती हैं।
वकीलों के निकाय के अनुसार इस कदम का प्रभावी परिणाम यह होगा कि वकीलों को बिना किसी एकरूपता और पूर्वानुमेयता (predictability) के सभी शनिवारों को काम करना पड़ेगा।
DHCBA का कहना है कि यह स्थिति वकीलों के लिए व्यावहारिक असुविधा और काफी कठिनाई पैदा करेगी, जिससे उनके कार्य-जीवन संतुलन में बाधा आएगी और बार के सदस्यों पर अतुलनीय बोझ पड़ेगा।
पत्र में अनुरोध किया गया,
"उपरोक्त के आलोक में अनुरोध है कि उक्त अधिसूचना को स्थगित रखा जाए। वैकल्पिक रूप से, सुविधा और पूर्वानुमेयता को आसान बनाने के लिए सभी बेंचों के लिए बैठकें निश्चित शनिवार को आयोजित की जा सकती हैं।"