3 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद बेसहारा व्यक्ति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को कानूनी सहायता तक पहुंच पर उसके आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए UPSLSA को निर्देश देने का अनुरोध किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को 'अनिल गौर @ सोनू @ सोनू तोमर बनाम यूपी राज्य 2022 लाइवलॉ (एबी) 435 मामले में उसके 2022 के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
उक्त आदेश में जिसमें विचाराधीन कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने के संबंध में राज्य के लिए कई सकारात्मक निर्देश जारी किए गए थे।
जस्टिस अजय भनोट की पीठ को अपहरण के एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जो जेल में बंद था। उसे समाज के आर्थिक रूप से गरीब तबके से संबंधित होने के कारण कानूनी सहायता तक पहुंच नहीं मिल पाई थी।
अदालत ने अभियुक्त के वकील द्वारा दिए गए तर्कों को भी ध्यान में रखा कि आवेदक और पीड़िता रिश्ते में थे और एफआईआर पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के कारण हुई थी।
यह भी प्रस्तुत किया गया था कि पीड़िता ने धारा 164 सीआरपीसी के तहत अपने बयान में अपहरण या अनुचित व्यवहार का कोई आरोप नहीं लगाया था।
अंत में, यह प्रस्तुत किया गया था कि चूंकि आरोपी समाज के गरीब आर्थिक तबके से संबंधित है, इसलिए, वह पुलिस अधिकारियों के लिए एक सुविधाजनक बलि का बकरा था और पुलिस अधिकारियों की साख को बढ़ाने के लिए उसे उक्त मामलों में झूठा नामजद किया गया था।
अभियोजन पक्ष के मामले को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि हालांकि उसके खिलाफ कोई आपत्तिजनक सबूत नहीं था, क्योंकि पीड़िता ने उसके खिलाफ अपहरण या अनुचित व्यवहार का कोई आरोप नहीं लगाया था, उसे बेकस हालात और कानूनी सहायता तक पहुंच की कमी के कारण तीन साल से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा था।
इसे देखते हुए न्यायालय ने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को भी इस मामले की जांच करने और यह देखने का निर्देश दिया कि क्या अनिल गौर मामले (सुप्रा) में हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों का पालन न करने में कोई चूक हुई है।
अदालत ने कानूनी और संवैधानिक मुद्दों को उठाने वाली कानूनी सहायता तक पहुंचने में असमर्थता के संबंध में अंडर-ट्रायल कैदियों द्वारा सामना किए जा रहे मुद्दे पर ध्यान देते हुए उपायों का सुझाव दिया, जो सीधे तौर पर जमानत के अधिकार और आवेदक की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रभावित करते हैं।
केस टाइटल- मनजीत उर्फ पिंटू बनाम यूपी राज्य [CRIMINAL MISC. BAIL APPLICATION No. - 59616 of 2022]
केस साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एबी) 26