'शिक्षकों के लिए अधिक गरिमामय पदनाम क्यों नहीं हो सकता है?' पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा सवाल
इस तथ्य पर ध्यान देते हुए कि पंजाब राज्य के शिक्षा विभाग ने राज्य में शिक्षक पदों पर नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों से आवेदन मांगते समय 'मिस्ट्रेस' (Mistress) शब्द का इस्तेमाल किया है (महिला शिक्षकों के मामले में), पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस संबंध में पंजाब राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
दरअसल न्यायमूर्ति अरुण मोंगा की एकल पीठ मनसा के कुछ उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी कि उन्हें आयु सीमा में छूट देकर 'मास्टर कैडर' के पदों के लिए उनके नामों पर भी विचार किया जाए।
अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर गौर किया कि राज्य सरकार द्वारा जारी विज्ञापन दिनांक 21-फरवरी-2020 के अंतर्गत स्कूल में नियुक्त होने वाली महिला शिक्षकों के लिए 'मिस्ट्रेस' शब्द का उपयोग किया गया है।
अदालत ने इस बात को रेखांकित किया कि विज्ञापन में इस शब्द का इस्तेमाल इस तथ्य के बावजूद किया गया है कि CWP No. 9939 ऑफ़ 2014 में दिनांक 21-नवम्बर-2018 को पारित अदालत के आदेश में इस न्यायालय ने एक प्रश्न सामने रखा था कि शिक्षकों के लिए इससे अधिक गरिमामय पदनाम क्यों नहीं हो सकता।
अदालत ने यह पूछा था कि, क्यों न उनके लिए 'मास्टर' और 'मिस्ट्रेस' की जगह अधिक सम्मानजनक शब्द टीचर का इस्तेमाल किया जाए। हाईकोर्ट ने कहा था कि इसके बाद इसे साइंस टीचर, मैथ्स टीचर, हिंदी टीचर, हिस्ट्री टीचर आदि में विभाजित किया जा सकता है।
हालाँकि, अदालत ने अपने मौजूदा आदेश में यह देखा कि वह आदेश (CWP No. 9939 of 2014 के मामले में दिनांक 21-नवम्बर-2018 को जारी किया गया) हरियाणा राज्य को जारी किया गया था, क्योंकि उक्त CWP हरियाणा राज्य से संबंधित थी।
इसके बाद हाईकोर्ट ने मौजूदा मामले में पंजाब राज्य सरकार को यह आदेश दिया कि,
"पंजाब राज्य के शिक्षा विभाग के सचिव इस संबंध में एक अलग विशिष्ट हलफनामा दायर करेंगे, कि इस परिवर्तन के लिए, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, कानून के अनुसार क्या कदम उठाए जा सकते हैं या प्रस्तावित हैं। सुनवाई की अगली तारीख को या उससे पहले हलफनामा दायर किया जाना चाहिए।"
मामले की सुनवाई को जुलाई 13 के लिए तय करते हुए, न्यायमूर्ति मोंगा ने यह स्पष्ट किया कि इस मामले में अगली तारीख तक राज्य की ओर से हलफनामा दाखिल किया जाना आवश्यक है।
इससे पहले, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हाल ही में एनडीपीएस अधिनियम के तहत एक आपराधिक मामले में एक अफ्रीकी आरोपी का उल्लेख करते हुए नस्लीय शब्द का उपयोग करने के लिए राज्य के पुलिस अधिकारियों को फटकार लगायी थी।
न्यायमूर्ति राजीव नारायण रैना की एकल पीठ ने यह कहा था कि वे NDPS मामले में ट्रायल कोर्ट के समक्ष धारा 173 Cr. PC के तहत प्रस्तुत चालान पत्र में अफ्रीकी व्यक्तियों का उल्लेख करते हुए 'नीग्रो' (Nigro) शब्द के इस्तेमाल को देख कर चकित हैं।
उन्होंने आगे कहा था कि यह दुनिया भर में एक बहुत ही अपमानजनक शब्द है और इसका उपयोग करने के लिए किसी के पास कोई भी कारन नहीं है, और पुलिस के पास तो बिलकुल नहीं।
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