दिल्ली दंगेः जांच में कई वांछित पहलू छोड़ दिए गए: दिल्ली की अदालत ने एक व्यक्ति को दो मामलो में जमानत दी
कड़कड़डूमा कोर्ट (दिल्ली) ने मंगलवार (17 नवंबर) को यह देखते हुए कि उसके खिलाफ मामले में जांच के "कई पहलूओं" को छोड़ दिया गया है, दिल्ली दंगों (फरवरी 2020) से जुड़े दो मामलों में आरोपी व्यक्ति की जमानत स्वीकार कर ली।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत एक आरोपी अजय की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसके खिलाफ 28.02.2020 को धारा 147/148/149/427 आईपीसी के तहत पी.एस. ज्योति नगर, में केस दर्ज है।
सामने रखे गए तर्क
यह प्रस्तुत किया गया कि वह 21 वर्ष का है और अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला है। वह 11 वीं कक्षा का छात्र है और अपने क्षेत्र बच्चों को पढ़ाता हैं और उसके पास आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है।
यह भी प्रस्तुत किया गया था कि उसके पिता मिर्गी के रोगी हैं और हृदय रोगी हैं।
यह तर्क दिया गया कि आरोपी के पिता की देखभाल करने के लिए परिवार का कोई अन्य सदस्य नहीं है और आरोपी की माँ भी पिछले कई वर्षों से बिस्तर तक ही सीमित है और वह बिना किसी मदद के चलने में पूरी तरह असमर्थ है।
यह प्रस्तुत किया गया कि 25.02.2020 को दिल्ली में हुए दंगों के बाद आरोपी पर विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग एफआईआर दर्ज़ की गई। आरोपी को गलत तरीके से फंसाया गया, क्योंकि "एफआईआर में अलग-अलग स्थान दिखाए गए हैं और आरोपी इन मामलों में एक ही समय में शामिल नहीं हो सकता है।"
यह भी तर्क दिया गया कि वह 05 महीने से अधिक समय से हिरासत में है। यह प्रस्तुत किया गया था कि आरोपी के खिलाफ कोई सबूत, कोई सार्वजनिक गवाह और कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं है।
कोर्ट का आदेश
अदालत ने कहा कि अभियुक्त के खिलाफ मामला शिकायतकर्ता गुलफाम की शिकायत पर दर्ज किया गया है, जिसने कहा था कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने उसे जला दिया था। इस प्रकार, अदालत ने कहा कि "शिकायतकर्ता घटना का चश्मदीद गवाह नहीं है।"
महत्वपूर्ण रूप से अदालत ने उल्लेख किया कि गवाह के बयान के अनुसार, अजय को मीत नगर रेलवे लाइन की झाड़ियों के पास से गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अरेस्ट मेमो के अनुसार, गिरफ्तारी का स्थान ज्योति नगर पुलिस स्टेशन है।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
"गवाह असलम के 18.04.2020 को दर्ज बयान के अनुसार, दो आरोपी व्यक्तियों अजय और गौरव को उसके सामने गिरफ्तार किया गया, जबकि अरेस्ट मेमो में कथित आरोपी को जहां से गिरफ्तार किया गया, वह कोई सार्वजनिक स्थान नहीं था, बल्कि ज्योति नगर पुलिस स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था। इस तरह वर्तमान मामले की जांच में कई पहलू छूट गए।"
अदालत ने यह भी कहा कि गवाह का बयान 18 अप्रैल को दर्ज किया गया था, लेकिन घटना 25 फरवरी की थी।
इस प्रकार अभियुक्त अजय की Cr.P.C की धारा 439 के तहत दायर जमानत अर्जी मंजूर कर ली गई। उसे 20,000/ रूपये के निजी बॉन्ड पर और संबंधित मजिस्ट्रेट की संतुष्टि के अनुसार, एक स्थानीय ज़मानतदार को पेश करने की शर्त पर जमानत दे दी गई।
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