दिल्ली हाईकोर्ट ने रोड एक्सीडेंट मामले में नाबालिग ड्राइवर के पिता से मुआवजे की वसूली को सही ठहराया

Update: 2023-01-18 05:26 GMT

Delhi High Court

दिल्ली हाईकोर्ट ने उस कार के रजिस्टर्ड मालिक के खिलाफ बीमाकर्ता को वसूली अधिकार देने को चुनौती देने वाली अपील खारिज कर दी, जिसका बेटा 2013 में रोड़ एक्सीडेंट में शामिल था, जिसके कारण 42 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई थी।

जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि 42 वर्षीय व्यक्ति ने केवल इसलिए अपनी जान गंवाई, क्योंकि नाबालिग के पिता ने यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम नहीं उठाए कि उसका वाहन केवल वैध ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति ही चलाए।

अदालत ने कहा,

"इसलिए यह अदालत अपीलकर्ता के इस तरह के कृत्य को माफ नहीं कर सकती है और बीमा कंपनी पर दायित्व तय नहीं कर सकती है, जब यह स्पष्ट है कि अपीलकर्ता ने खुद बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया।"

जस्टिस पल्ली ने आगे कहा कि जब नाबालिग बच्चों के माता-पिता उन्हें मोटर वाहन चलाने की अनुमति देते हैं तो वे न केवल अपने बच्चों के जीवन को खतरे में डालते हैं बल्कि आम नागरिकों के जीवन को भी खतरे में डालते हैं।

अदालत ने यह भी जोड़ा,

"वर्तमान मामले में मृतक हरिंदर कुमार, 42 साल के व्यक्ति ने केवल इसलिए अपनी जान गंवा दी, क्योंकि अपीलकर्ता ने यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम नहीं उठाए कि उसका वाहन केवल वैध ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले व्यक्ति द्वारा ही चलाया जा रहा है।"

नवंबर, 2021 में रोहिणी में मोटर एक्सीडेंट क्लैम ट्रिब्यूनल ने कुमार की पत्नी और बेटी के पक्ष में 16,32,700 रुपये का मुआवजा दिया। ट्रिब्यूनल ने आदेश में यह भी कहा कि बीमा कंपनी को कानून के अनुसार उचित कार्यवाही में रजिस्टर्ड मालिक से राशि वसूलने का अधिकार होगा। यह देखा गया कि कार मालिक ने अपने नाबालिग बेटे को वाहन चलाने की अनुमति देकर बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया।

वसूली के अधिकारों को चुनौती देते हुए अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि चूंकि वाहन उसके नाबालिग बेटे द्वारा उसकी जानकारी और अनुमति के बिना चलाया गया, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उसने जानबूझकर बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया। उसने कहा कि दुर्घटना के समय वह अपने कार्यालय में था और उसके नाबालिग बेटे ने उसके बिस्तर की दराज से कार की चाबी ले ली, जो अनजाने में प्रासंगिक समय पर बंद नहीं थी।

एमएसीटी द्वारा पारित निर्णय का उल्लेख करते हुए अदालत ने पाया कि उसके नाबालिग बेटे ने उसकी अनुमति के बिना कार ली, यह याचिका अपीलकर्ता/कार के रजिस्टर्ड मालिक द्वारा संबंधित पुलिस प्राधिकरण या किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष नहीं उठाई गई।

अदालत ने कहा,

"एक बार अपीलकर्ता यह जानने के बावजूद कि उसका बेटा नाबालिग बच्चा है, अपनी कार की चाबियां घर पर ही छोड़ गया और इस बात का कोई स्पष्टीकरण देने में विफल रहा कि घर पर कार की चाबियां लावारिस क्यों छोड़ी गईं, जबकि वह स्वयं वहां नहीं था। अपीलकर्ता द्वारा किया जा रहा बचाव स्पष्ट रूप से अपने दायित्व से बचने के प्रयास में बाद का विचार है।"

अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता ने अपनी दलील के समर्थन में एमएसीटी के समक्ष किसी भी स्वतंत्र गवाह का नेतृत्व नहीं किया कि कार को उसके नाबालिग बेटे ने उसकी जानकारी और अनुमति के बिना चलाया।

इस प्रकार कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के अवार्ड को बरकरार रखा और अपील खारिज कर दी।

केस टाइटल: एसएन बनाम इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड व अन्य।

साइटेशन: लाइवलॉ (दिल्ली) 55/2023

अपीलकर्ता के वकील: एडवोकेट नवनीत गोयल।

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