दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीएसई, आईसीएसई और सभी राज्य बोर्ड स्कूलों में "समान पाठ्यक्रम" की मांग वाली याचिका में केंद्र सरकार से जवाब मांगा

Update: 2022-05-02 07:04 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने भाजपा नेता और एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय (Advocate Ashwini Kumar Upadhyay) द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें सीबीएसई, आईसीएसई और राज्य बोर्डों सहित सभी बोर्डों में 'समान पाठ्यक्रम' की मांग की गई है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को इस मामले में 6 सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

दलील इस बात पर प्रकाश डालती है कि सभी प्रवेश परीक्षाएं जैसे JEE, BITSAT, NEET, MAT, NET, NDA, CU-CET, CLAT, AILET, SET, KVPY, NEST, PO, SCRA, NIFT, AIEED, NATA, CEPT आदि के लिए पाठ्यक्रम समान है। हालांकि, CBSE, ICSE और स्टेट बोर्ड के लिए पाठ्यक्रम बिल्कुल अलग है। इस प्रकार, छात्रों को संविधान के अनुच्छेद 14-16 की भावना से समान अवसर नहीं मिलता है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि एक "शिक्षा माफिया" है जो एक समान शिक्षा प्रणाली नहीं चाहता है, ताकि कोचिंग प्रणाली को आगे बढ़ाया जा सके और बदले में मौद्रिक लाभ प्राप्त किया जा सके।

याचिका में आगे कहा गया है,

"शिक्षा का अधिकार' का अर्थ 'समान शिक्षा का अधिकार' है और यह सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है क्योंकि अन्य अधिकार इसे प्रभावी ढंग से लागू किए बिना अर्थहीन हैं। मातृभाषा में सामान्य पाठ्यक्रम और सामान्य पाठ्यक्रम न केवल एक सामान्य संस्कृति के कोड को प्राप्त करेंगे, मानवीय संबंधों में असमानता और भेदभावपूर्ण मूल्यों की कमी को दूर करना, बल्कि गुणों को भी बढ़ाना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना, विचारों को ऊंचा करना, जो समान समाज के संवैधानिक लक्ष्य को आगे बढ़ाते हैं।"

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, कानून मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय, सीबीएसई, आईसीएसई और दिल्ली सचिवालय मामले में प्रतिवादी हैं।

मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त को होगी।

केस का शीर्षक: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ

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