ईशा फाउंडेशन के मानहानि मामले में यूट्यूबर श्याम मीरा सिंह को राहत नहीं, 'बलात्कार पीड़ितों' का विवरण दाखिल करने की याचिका खारिज
आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा स्थापित ईशा फाउंडेशन द्वारा दायर मानहानि मुकदमे में अपने बचाव के लिए कथित बलात्कार पीड़ितों और उनके परिवारों से संबंधित दस्तावेज दाखिल करने की यूट्यूबर श्याम मीरा सिंह की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह समय से पहले दायर की गई।
सिंह द्वारा अपने यूट्यूब चैनल पर वासुदेव और फाउंडेशन के खिलाफ अपलोड किए गए कथित रूप से अपमानजनक वीडियो को लेकर मानहानि का मुकदमा दायर किया गया।
आगे कहा गया,
"सद्गुरु एक्सपोज्ड: जग्गी वासुदेव के आश्रम में क्या हो रहा है" टाइटल वाला यह वीडियो सिंह ने 24 फरवरी को अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया। उन्होंने इसे अपने 'एक्स' पेज पर शेयर किया और आरोप लगाया कि आश्रम में नाबालिगों का शोषण किया जा रहा है।
मार्च में जस्टिस प्रसाद ने सिंह को संबंधित वीडियो हटाने का निर्देश दिया, यह देखते हुए कि यह "असत्यापित सामग्री" पर आधारित है और वीडियो का शीर्षक जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक क्लिकबैट है।
सिंह ने अपनी याचिका में यह निर्देश देने की मांग की कि कथित यौन उत्पीड़न के शिकार व्यक्तियों और उनके परिवार के सदस्यों की वास्तविक पहचान वाले मूल दस्तावेज़ एक सीलबंद लिफ़ाफ़े में जमा किए जाएं और उन्हें सार्वजनिक रिकॉर्ड का हिस्सा न बनाया जाए।
उन्होंने यह भी निर्देश देने की मांग की कि ईशा फ़ाउंडेशन को वास्तविक नामों के साथ मूल दस्तावेज़ दिए जाएं। हालांकि, वह उन व्यक्तियों की पहचान का खुलासा न करे जिनसे उनकी पहचान उजागर हो सकती है।
आवेदन खारिज करते हुए जस्टिस प्रसाद ने कहा:
"चूंकि इस कोर्ट की राय में इस समय दस्तावेज़ दाखिल नहीं किए गए, इसलिए यह याचिका समय से पहले दायर की गई। तदनुसार इसे खारिज किया जाता है।"
30 मई को समन्वय पीठ ने सद्गुरु के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करते हुए जॉन डो आदेश पारित किया था। साथ ही विभिन्न दुष्ट वेबसाइटों और अज्ञात संस्थाओं को किसी भी प्लेटफ़ॉर्म या माध्यम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग के माध्यम से उनके व्यक्तित्व लक्षणों का दुरुपयोग करने से रोका था।
हाल ही में कोर्ट ने गूगल एलएलसी से यह सुनिश्चित करने का प्रयास करने को कहा कि वासुदेव के व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन करने वाली भ्रामक और डीपफेक सामग्री को उसकी तकनीक के माध्यम से हटाया जाए।
Title: ISHA FOUNDATION v. GOOGLE LLC & ORS