पति से अलग रह रही महिला ने गर्भावस्था समाप्त करने के लिए दायर की याचिका, दिल्ली हाईकोर्ट ने उसकी जांच के लिए एम्स को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को पति से अलग हुई महिला, जिसने अपनी 22 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए आवेदन किया है, की जांच के लिए एम्स को एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि मेडिकल बोर्ड इस बात पर विचार करना होगा कि क्या महिला का पंजीकृत चिकित्सक द्वारा गर्भावस्था को समाप्त करने की प्रक्रिया से गुजरना सुरक्षित होगा। साथ ही कोर्ट ने भ्रूण की स्थिति का पता लगाना का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड 48 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप दे।
31 वर्षीय महिला की जून में शादी हुई थी। उसे एक महीने के बाद पता चला कि वह गर्भावती है। उसका आरोप था कि शादी के शुरुआती दिनों से ही उसका पति की ओर से और ससुराल में मौखिक, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था।
महिला ने बताया कि पति ने पहली बार जुलाई में उसका शारीरिक उत्पीड़न किया था। उसके बाद अगस्त में दूसरी बार उसका उत्पीड़न किया गया, तब वह 3 महीने की गर्भवती थी।
अगस्त के बाद से महिला अपने मायके में रहने लगी। फिलहाल वह अपनी गर्भावस्था जारी नहीं रखना चाहती थी।
अदालत ने महिला को राहत प्रदान की, हालांकि कहा कि उसने न तो अपने पति के खिलाफ शारीरिक उत्पीड़न की कोई एफआईआर दर्ज कराई है है और न ही तलाक या न्यायिक अलगाव के लिए कोई याचिका दायर की है।
अदालत ने कहा कि एक्स बनाम प्रिंसिपल सेक्रेटरी, हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, दिल्ली सरकार और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अनुपात यह है कि यह प्रत्येक महिला का विशेषाधिकार है कि वह अपने जीवन का मूल्यांकन करे और भौतिक परिस्थिति में बदलाव के मद्देनजर कार्रवाई के सर्वोत्तम तरीके पर पहुंचे।
कोर्ट ने कहा,
“सुप्रीम कोर्ट की राय थी कि जब एक महिला अपने साथी से अलग हो जाती है तो भौतिक परिस्थितियों में बदलाव आ सकता है और उसके पास बच्चे को पालने के लिए वित्तीय संसाधन नहीं हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने एमटीपी रूल्स के रूल 3 बी (सी) के तहत महिला के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों को शामिल किया गया है, जिसमें महिला को वैवाहिक स्थिति में बदलाव के आधार पर 24 सप्ताह तक की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी गई है।"
कोर्ट ने महिला के पति को भी पक्षकार बनाने का आदेश दिया और उसे नोटिस जारी किया।
अब इस मामले की सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी।