हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल अधिकारियों को यासीन मलिक को सही मेडिकल ट्रीटमेंट देने का निर्देश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को तिहाड़ जेल अधिकारियों को टेरर फंडिंग केस में उम्रकैद की सज़ा पाए कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को सही मेडिकल ट्रीटमेंट देने का निर्देश दिया।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने तिहाड़ जेल अधिकारियों की रिपोर्ट पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया कि मलिक को कोई जानलेवा बीमारी नहीं लग रही है।
कोर्ट ने कहा कि अगर मलिक की हालत के हिसाब से जेल के अंदर मेडिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध नहीं है तो उन्हें उन अस्पतालों में दिया जाए जहां ऐसी सुविधा उपलब्ध है।
जस्टिस कृष्णा ने पिछले साल दायर मलिक की उस अर्जी का निपटारा कर दिया, जिसमें उन्होंने AIIMS या राष्ट्रीय राजधानी या श्रीनगर के किसी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में अपने मेडिकल ट्रीटमेंट की इजाज़त मांगी थी।
मलिक को मई 2022 में ट्रायल कोर्ट ने टेरर फंडिंग केस में उम्रकैद की सज़ा सुनाई। उन्होंने मामले में अपना जुर्म कबूल कर लिया और अपने खिलाफ लगे आरोपों का विरोध नहीं किया। बाद में NIA ने मामले में उनके लिए मौत की सज़ा की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मलिक ने दावा किया कि उन्हें दिल और किडनी की गंभीर बीमारियां हैं। साथ ही दूसरी बीमारियां भी हैं। इसलिए वह चाहते हैं कि उनका इलाज AIIMS या देश की राजधानी या श्रीनगर, कश्मीर के किसी दूसरे सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हो।
मलिक को इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने मई 2022 में उम्रकैद की सज़ा सुनाई। उन्होंने मामले में अपना जुर्म कबूल कर लिया था और अपने खिलाफ लगे आरोपों को चुनौती नहीं दी।
मलिक को उम्रकैद की सज़ा सुनाते हुए स्पेशल जज ने कहा कि यह जुर्म सुप्रीम कोर्ट के रेयरेस्ट ऑफ़ रेयर केस के टेस्ट में फेल हो गया।
जज ने मलिक की इस बात को भी खारिज कर दिया कि उन्होंने अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांत का पालन किया और शांतिपूर्ण अहिंसक संघर्ष की अगुवाई कर रहे थे। कोर्ट ने मार्च, 2022 में इस मामले में मलिक और कई दूसरे लोगों के खिलाफ अनलॉफुल एक्टिविटीज़ प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत आरोप तय किए।
जिन दूसरे लोगों पर आरोप लगाए गए और जिन पर ट्रायल का दावा किया गया, वे हैं हाफिज मुहम्मद सईद, शब्बीर अहमद शाह, हिजबुल मुजाहिदीन चीफ सलाहुद्दीन, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद शाह वटाली, शाहिद-उल-इस्लाम, अल्ताफ अहमद शाह उर्फ फंटूश, नईम खान, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे।
हालांकि, कोर्ट ने कामरान यूसुफ, जावेद अहमद भट्ट और सैयदा आसिया फिरदौस अंद्राबी नाम के तीन लोगों को बरी कर दिया।
Title: Yasin Malik v. State