दिल्ली हाईकोर्ट ने कथित तौर पर आतंकवादी गतिविधियों, बम विस्फोटों की योजना बनाने के लिए यूएपीए के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत देने से इनकार दिया।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनीश दयाल की खंडपीठ ने कहा कि इस बात की उचित संभावना है कि आरोपी मुहम्मद आमिर जावेद उन लोगों के नेटवर्क में से एक है, जो बम और विस्फोटकों का उपयोग करके आतंकवादी गतिविधि शुरू करने और जानमाल का नुकसान करने की योजना से परिचित थे।
अदालत ने कहा,
“यह तथ्य कि वह सबसे कमजोर कड़ी या महत्वपूर्ण कड़ी थी, एक मुद्दा है, जो अभियोजन पक्ष द्वारा ट्रायल से साबित किया जाएगा। उस स्तर पर जब आरोप तय करने के लिए आरोपी की आवश्यकता होगी। इस अदालत की राय है कि उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए।”
खंडपीठ ने 18 मई को निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें उसे नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। उक्त आदेश को चुनौती देने वाली उसकी अपील खारिज कर दी गई थी।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 2021 में एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि आतंकी मॉड्यूल द्वारा भारत में अपने गुर्गों के साथ विभिन्न विस्फोटों को अंजाम देने के लिए एक गहरी साजिश रची गई थी।
जावेद को इस मामले में 14 सितंबर, 2021 को गिरफ्तार किया गया था। इस साल की शुरुआत में उसकी अपील दायर होने पर उसने हिरासत में लगभग 20 महीने पूरे कर लिए थे। उसका मामला यह है कि उसे अंतरिम रूप से किसी भी अवधि के लिए रिहा नहीं किया गया है।
अभियोजन पक्ष का मामला है कि जावेद ने आतंकवादी गतिविधियों के हिस्से के रूप में भारत में आईईडी बम विस्फोटों की साजिश में भाग लिया था। इस मामले में 07 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
खंडपीठ ने कहा,
“इसलिए आरोप-पत्र पर विचार करने के बाद अभियुक्तों की संलिप्तता के संबंध में व्यापक संभावना के आधार पर सामग्री की समग्रता, जांच एजेंसी द्वारा सामने रखे गए दस्तावेज़, जैसे वे थे। इसके अलावा संभावित मूल्य के सतही विश्लेषण के अनुसार, इस न्यायालय की राय है कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि अपीलकर्ता के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सच है।”
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत सबूतों के सतही विश्लेषण से भी पता चलेगा कि जावेद पर मुख्य रूप से कथित आतंकी गतिविधियों के लिए आईईडी और ग्रेनेड और पिस्तौल सहित अन्य हथियार और गोला-बारूद रखने के लिए अन्य सह-अभियुक्तों के साथ साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।
अदालत ने कहा,
“जबकि शुरुआती जांच सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर शुरू की गई कि आतंकवादी मॉड्यूल भारत में सिलसिलेवार आईईडी विस्फोटों को अंजाम देने की कोशिश कर रहा था, उक्त जानकारी के आधार पर कई राज्यों में की गई व्यापक जांच के बाद साजिश का पर्दाफाश हुआ, जिसमें शामिल कई लोग कथित तौर पर कुछ संगठनों की ओर से दिल्ली सहित कई आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की योजना बना रहे थे।''
इसके अलावा, खंडपीठ ने यह भी कहा कि मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किए गए एक गवाह के बयान ने इस तथ्य की पुष्टि की कि जावेद के घर पर एक बैग में रखे गए हथियारों और विस्फोटकों की खेप एक सह-अभियुक्त को वापस दे दी गई, जो इसे बाद में प्रयागराज ले गया।
अदालत ने कहा,
“जांच एजेंसी द्वारा पेश किए गए वर्तमान मामले में यह स्पष्ट है कि भारत में बम विस्फोट करने के लिए आतंकी मॉड्यूल के लिए काम करने वाले विभिन्न व्यक्तियों की बड़े पैमाने पर साजिश थी। अपीलकर्ता हथियारों और विस्फोटकों की बरामदगी का एक अभिन्न अंग था। प्रथम दृष्टया यह नहीं कहा जा सकता कि जमानत के उद्देश्य से इस स्तर पर आरोपी/अपीलकर्ता को बरी कर दिया जाए।''
अपीलकर्ता की ओर से एडवोकेट कार्तिक वेणु, नितिका खेतान और प्रिया वत्स उपस्थित हुए।
राज्य की ओर से एपीपी लक्ष खन्ना उपस्थित हुए।
केस टाइटल: मुहम्मद अमीर जावेद बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली)
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