दिल्ली हाईकोर्ट ने पक्षकारों को 45 दिनों तक यमुना नदी साफ करने के लिए कहा, समझौते के आधार पर हमले की एफआईआर रद्द की
दिल्ली हाईकोर्ट ने दो पक्षों के बीच हुए लड़ाई झगड़े के बाद दर्ज एफआईआर रद्द करते हुए शिकायतकर्ता के साथ-साथ प्रतिवादी पक्षों को यमुना नदी को 45 दिनों तक साफ करने का निर्देश दिया।
जस्टिस जसमीत सिंह ने पक्षकारों को दिल्ली जल बोर्ड की टीम के ड्रेनेज सदस्य की देखरेख में साथ काम करने का निर्देश दिया।
अदालत ने निर्देश दिया,
"संतोषजनक सेवा के अंत में याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादियों को यमुना सफाई के लिए दिल्ली जल बोर्ड द्वारा एक प्रमाण पत्र दिया जाएगा और प्रत्येक याचिकाकर्ता और प्रतिवादी द्वारा इस प्रमाण पत्र को उनकी प्राप्ति के एक सप्ताह के भीतर रिकॉर्ड में रखा जाना चाहिए।"
अदालत ने कहा,
" उम्मीद है कि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी अपने सभी ईमानदार प्रयासों और ऊर्जा के साथ यमुना नदी की सफाई में मदद करेंगे।"
अदालत ने इस प्रकार भारतीय दंड संहिता (आईपीसी ) की धारा 323 , 341 , 506 , 509, 354 और धारा 34 के तहत दर्ज एफआईआर रद्द कर दी।
याचिकाकर्ताओं ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था, क्योंकि उनके बच्चों और शिकायतकर्ता के बच्चों के बीच झगड़ा हुआ था, जिसमें माता-पिता शामिल हो गए थे, जिसके परिणामस्वरूप उनका झगड़ा हुआ था। एमएलसी के अनुसार चोट की प्रकृति साधारण बताई गई है।
यह प्रस्तुत किया गया था कि दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया जिसमें उनके बीच सभी विवादों का निपटारा किया गया। दोनों पक्षों ने कहा कि उन्होंने अपनी मर्जी से और बिना किसी जबरदस्ती या दबाव के समझौता किया है।
कोर्ट ने कहा ,
"दोनों पक्षों को अपने किये पर खेद है और इस अदालत को उन्होंने आश्वस्त किया है कि भविष्य में इस तरह की कार्रवाई नहीं होगी।"
तद्नुसार, न्यायालय ने पक्षकारों को दस दिनों की अवधि के भीतर सदस्य, ड्रेनेज को रिपोर्ट करने का निर्देश देते हुए एफआईआर रद्द कर दी। अनुपालन रिपोर्ट के लिए मामला 16 अगस्त को सूचीबद्ध किया गया है।
केस टाइटल : ममता देवी और अन्य बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और अन्य
साइटेशन : 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 558
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