अभियुक्तों की आवाज का सैंपल कोर्ट की अनुमति से चार्जशीट दाखिल करने के बाद प्राप्त किया जा सकता है : दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2022-08-06 06:46 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आरोप तय करना अभियोजन पक्ष के आवाज के सैंपल पर विशेषज्ञ राय प्राप्त करने के अधिकार को पराजित नहीं कर सकता, जिसे अदालत ने लेने की अनुमति दी हो।

जस्टिस आशा मेनन ने कहा कि आवाज का सैंपल लेने का उद्देश्य किसी अपराध की जांच करना है, लेकिन इसकी व्याख्या करना गलत होगा कि आवाज का सैंपल केवल आरोप पत्र दायर करने के समय के भीतर ही लेना होगा, उसके बाद नहीं।

अदालत ने हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक) (प्रारंभिक) परीक्षा 2017 के लिए निर्धारित प्रश्न पत्र के लीक होने से संबंधित मामले में आरोपी द्वारा दायर याचिका पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की। मुकदमे को बाद में दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता ने निचली अदालत का दरवाजा खटखटाकर पुलिस को निर्देश देने की मांग की कि वह उसे अपनी आवाज का सैंपल देने के लिए मजबूर न करे।

ट्रायल कोर्ट ने 2 जुलाई, 2022 के आदेश के तहत यह कहते हुए कोई भी निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया कि यह मानते हुए कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी और वह उस तारीख तक ऐसा करने में विफल रहा। इस प्रकार याचिकाकर्ता को अपनी आवाज का सैंपल देने का निर्देश देते हुए सीएफएसएल, चंडीगढ़ में इस उद्देश्य के लिए 11 जुलाई, 2022 की तारीख तय की।

इस प्रकार याचिकाकर्ता द्वारा याचिका दायर की गई, जिसमें चंडीगढ़ में ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित 26 सितंबर, 2018 के आदेशों को रद्द करने की मांग की गई। परिणामी आदेश दिनांक 2 जुलाई, 2022 को यहां विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित किया गया था। 26 सितंबर, 2018 के आदेश ने एसआईटी को याचिकाकर्ता की आवाज का सैंपल प्राप्त करने की अनुमति दी।

याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क दिया गया कि उसे एसआईटी को अपनी आवाज का नमूना देने के लिए मजबूर करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 20 (3) के तहत उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

आगे प्रस्तुत किया गया कि चंडीगढ़ में ट्रायल कोर्ट ने उसके आवेदन को गलत तरीके से खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि वह गंभीर तनाव और मानसिक अवसाद में है, इसलिए उसकी सहमति, स्वतंत्र रूप से दी गई सहमति नहीं है।

याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपनी आवाज का सैंपल देने के संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए बयान की स्वैच्छिक प्रकृति पर खुद को आश्वस्त किया है।

कोर्ट ने कहा,

"उस सहमति से बाहर निकलने के आवेदन को सही तरीके से खारिज कर दिया गया। 8 जनवरी, 2019 के इस आदेश के आलोक में स्पष्ट रूप से 26 सितंबर, 2018 के आदेश को अनुचित या विकृत होने के कारण रद्द करने का कोई आधार नहीं है।"

अदालत का विचार था कि जांच के लंबित रहने के दौरान आवाज का सैंपल उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए गए, लेकिन याचिकाकर्ता ने उस आदेश का पालन करने से सफलतापूर्वक परहेज किया।

कोर्ट ने आगे कहा,

"आज स्थिति यह है कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार, आरोप तय किए गए हैं, लेकिन यह अभियोजन पक्ष के आवाज के सैंपल पर विशेषज्ञ राय प्राप्त करने के अधिकार को पराजित नहीं कर सकता है, जिसे याचिकाकर्ता से भी लेने की अनुमति दी गई है।"

यह जोड़ा

"आवाज का सैंपल लेने का उद्देश्य अपराध की जांच करना है, लेकिन इसका अर्थ यह समझना गलत होगा कि आवाज का सैंपल केवल चार्जशीट दायर किए जाने के समय के भीतर ही लेना होगा, उसके बाद नहीं। अगर ऐसा हुआ तो वर्तमान याचिकाकर्ता-आरोपी की तरह जांच एजेंसियों के आवाज का सैंपल प्राप्त करने के अधिकार को हराने में सक्षम होंगे, भले ही अदालत ने इसे अधिकृत किया हो। अदालत के आदेशों को इस तरह से निरर्थक नहीं बनाया जा सकता है।"

अदालत ने इस प्रकार यह आदेश देने वाली याचिका को खारिज कर दिया कि विशेष न्यायाधीश तारीख तय कर सकते हैं, जब याचिकाकर्ता अपनी आवाज का सैंपल देने के लिए सीएफएसएल, चंडीगढ़ के समक्ष पेश होगा।

केस टाइटल: सुनील कुमार उर्फ ​​टीटू बनाम चंडीगढ़ संघ राज्य क्षेत्र

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