दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख ज़फरुल इस्लाम को कठोर कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण दिया

Update: 2020-05-12 11:23 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख जफरुल इस्लाम खान को मामले की अगली सुनवाई तक किसी भी कठोर कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण दिया।

न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की एकल पीठ ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा सकती।

एडवोकेट वृंदा ग्रोवर के माध्यम से दायर याचिका में झूठे, जानबूझकर और अपुष्ट मामले से बचाव के लिए ज़मानत देने का आग्रह किया गया था।

याचिका में कहा गया था कि दिल्ली पुलिस ने खान के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 124A और 153A के तहत मामला दायर किया है जो क़ानूनी रूप से आधारहीन, विकृत तथ्यों पर आधारित और क़ानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि मार्च 2020 से भारत में लगातार घृणात्मक भाषण दिया जा रहा है और कुछ मामलों में मुस्लिम संप्रदाय के लोगों पर COVID-19 फैलाने का आरोप लगाते हुए हमले हुए भी हुए हैं।

याचिका में कहा गया था कि

" याचिकाकर्ता के सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर मीडिया में जिस तरह की कवरेज हो रही है वह फ़र्ज़ी, भड़काऊ और दुर्भावनापूर्ण है और इस वजह से याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ घृणा की भावना को भड़काया है और इस वजह से आम लोगों की नज़र में उन्हें अपमान की दृष्टि से देखा जाता है। इस तरह की मीडिया कवरेज की वजह से उनके उके ख़िलाफ़ जो गंभीर और दुर्भावनापूर्ण मामला दायर हुआ है उससे यह साफ़ स्पष्ट है।"

इसलिए याचिककर्ता ने ज़मानत दिए जाने की मांग की है ताकि उन्हें उत्पीड़क कार्रवाई से संरक्षण मिल सके, क्योंकि उनके ख़िलाफ़ जो मामला दायर किया गया है वह दुर्भावनापूर्ण है और उन्हें परेशान कारने और डराने के लिए ऐसा किया गया है क्योंकि वह मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा के अपने संवैधानिक कर्तव्य को पूरा कर रहे थे।

Tags:    

Similar News