दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा को मंज़ूरी दी, छात्रों की चिंता पर निर्देश जारी किए
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को अपनी ऑनलाइन ओपन बुक एक्ज़ाम (ओबीई) आयोजित करने की अनुमति दी।
हालांकि, छात्रों द्वारा उठाए गई विभिन्न चिंताओं को दूर करने के लिए न्यायालय ने कई निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने डीयू को निर्देश दिया कि वह इनका पालन करे और कॉमन सर्विस सेंटर एकेडमी को भी बताए।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की एकल पीठ ने निम्नलिखित निर्देश पारित किए:
1. प्रश्न पत्र पोर्टल और छात्रों के ईमेल आईडी दोनों पर उपलब्ध हों।
2. उत्तर पुस्तिकाओं को अपलोड करने के लिए छात्रों को एक घंटा अतिरिक्त दिया जाए।
3. ऑटो-जनरेट ईमेल से छात्रों को सूचित किया जाएगा कि उनकी उत्तर पुस्तिका स्वीकार कर ली गई है।
4. डीयू को यह सुनिश्चित करना है कि केंद्रीकृत ईमेल आईडी (Centralised Email ID) में सभी छात्रों से प्रतिक्रिया लेने की पर्याप्त क्षमता हो।
5. सभी नोडल अधिकारियों, प्रतिभागी कॉलेजों और संबंधित अधिकारियों के ईमेल आईडी 8 अगस्त तक प्रकाशित किए जाएं। शिकायत अधिकारी (Grievance Officer) को 48 घंटे के भीतर प्रक्रिया के बारे में शिकायतें व्यक्त करने वाले छात्रों के ईमेल को संबोधित करना होगा; यदि नहीं, तो मामले को शिकायत निवारण समिति को भेजा जाएगा।
6. दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी, उक्त शिकायत समिति की अध्यक्षता करेंगी।
7. कॉमन सर्विस सेंटर एकेडमी को परीक्षाओं की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए अपने सभी केंद्रों को ईमेल भेजना होगा। उक्त समिति ऑनलाइन ओबीई की प्रक्रिया के बारे में शिकायतों पर गौर करेगी।
8. डीयू को उक्त समिति को परीक्षाओं के आयोजन के लिए एक रिपोर्ट सौंप होगी।
9. डीयू शिक्षकों को उत्तर पुस्तिकाएं एक साथ भेजेगा, जिससे परिणाम घोषित करने में सुविधा हो।
10. डीयू को 4 सप्ताह के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।
11. शिकायत निवारण समिति ऑनलाइन ओबीई के पूरा होने के बाद एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करेगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कई छात्रों द्वारा दायर, वर्तमान याचिका में विश्वविद्यालय के ऑनलाइन ओपन बुक एक्ज़ाम (ओबीई) को इस आधार पर आयोजित करने के निर्णय को चुनौती दी गई थी कि यह भेदभावपूर्ण है क्योंकि अधिकांश छात्रों के पास इंटरनेट या पुस्तकों तक पहुंच नहीं है।
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं के पास इन परीक्षाओं को आयोजित करने के लिए विश्वविद्यालय की तैयारियों के बारे में विभिन्न चिंताएं थीं।
इन चिंताओं में सभी छात्रों तक तेज़ इंटरनेट पहुंच सुनिश्चित करना, पठन सामग्री की उपलब्धता, तकनीकी गड़बड़ियों से निपटने के प्रावधान और कॉमन सर्विस स्टूडेंट्स की कार्यप्रणाली शामिल थी।
ऑनलाइन ओबीई पद्धति के स्थान पर, याचिकाकर्ताओं ने पिछले परिणामों के आधार पर प्रोजेक्ट/ असाइनमेंट आधारित मूल्यांकन, आंतरिक मूल्यांकन, या मूल्यांकन के लिए अनुरोध किया था।
दूसरी ओर, दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक सुसंगत रुख बनाए रखा कि यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार, उसे 30 सितंबर से पहले अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित करनी है।
यह तर्क देते हुए कि ऑनलाइन ओबीई महामारी के समय उपलब्ध सबसे अच्छा विकल्प है, विश्वविद्यालय ने प्रस्तुत किया था कि ऑनलाइन ओबीई में कठिनाई का सामना करने वाले छात्रों के पास हमेशा परीक्षा में शारीरिक रूप से उपस्थित होने का एक विकल्प होगा, जो स्थिति सामान्य होने पर एक बार आयोजित की जाएगी। ।
सभी के लिए इंटरनेट का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए, विश्वविद्यालय ने कहा कि इसने कॉमन सर्विस सेंटर अकादमी के साथ एक समझौता किया, जो दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों या अन्य छात्रों को डिजिटल सेवाएं प्रदान करने के लिए होगा, जिन्हें परीक्षा देने के लिए आईटी अवसंरचना की आवश्यकता होगी।
परीक्षा के डीन प्रोफेसर विनय गुप्ता ने अदालत को सूचित किया था कि सभी छात्रों ने अपने ईमेल बता दिए हैं और छात्रों के लिए वेबसाइट पर हेल्पलाइन उपलब्ध हैं। इसके अलावा, एक शिकायत समिति को भी 4 अगस्त की अधिसूचना के अनुसार गठित गया था। यह प्रस्तुत किया गया था कि साइट पर एक टाइमर पोर्टल मौजूद होगा, और फ़ाइल का आकार 5 एमबी से 7 एमबी तक बढ़ाया जा सकता है।