दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगा पीड़ितों के मुआवजा दावा आवेदन पर त्वरित कार्यवाही करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को राज्य के दंगा पीड़ितों के मुआवजा दावा आवेदन पर पांच मार्च 2020 के अपने कार्यालय आदेश के अुनरूप त्वरित कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति नवीन चावला की एकल पीठ ने साथ ही यह भी निर्देश दिया कि दिल्ली सरकार ऐसे आवेदनों को प्राथमिकी की प्रति जमा कराने पर जोर दिये बिना स्वीकार करेगी।
यह आदेश उस रिट याचिका पर आया है जिसमें 'दिल्ली सरकार सहायता योजना' के तहत दंगा पीड़ितों का आवेदन स्वीकार करने एवं कार्यवाही शुरू करने का राज्य सरकार को निर्देश देने का न्यायालय से अनुरोध किया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने दंगा पीड़ितों के मुआवजा दावे की स्वीकृति / मूल्यांकन लंबित होने की स्थिति में भी आवेदकों के बैंक खातों में पच्चीस - पच्चीस हजार रुपये की राशि यथाशीघ्र जमा कराने की मांग भी राज्य सरकार से की है।
इसके अलावा, याचिकाकर्ता यह चाहते थे कि कोर्ट नया मुआवजा आवेदन दाखिल करने और उस आवेदन की स्थिति की जानकारी हासिल करते रहने के लिए एक सप्ताह के भीतर एक नया ऑनलाइन पोर्टल शुरू करने या पुराने पोर्टल को फिर से चालू करने तथा उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगा पीड़ितों / आवेदकों को आवेदन दाखिल करने और ऑनलाइन उसे ट्रैक करने के लिए एक टीम तैनात करने का निर्देश प्रतिवादियों को दे।
याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि चूंकि इन मुआवजा दावा आवेदनों पर कार्यवाही में विलम्ब हुआ है, इसलिए दिल्ली सरकार को प्रत्येक आवेदकों को दंगों में हुई क्षति की तारीख से राशि के भुगतान की तारीख तक 12 फीसदी के हिसाब से ब्याज का भुगतान भी करना चाहिए।
याचिकाकर्ताओं द्वारा यह भी दलील दी गयी थी कि प्रतिवादियों को उनके कारण हुए विलंब और लॉकडाउन के दुष्प्रभावों के आलोक में प्रत्येक आवदेक को पांच – पांच लाख रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान करना चाहिए।
याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को ऑनलाइन पोर्टल के काम न करने की शिकायत की तहकीकात करने और यथाशीघ्र इसे दूर करने का भी निर्देश दिया।
याचिकाकर्ताओं के वकील : राजशेखर राव, सुश्री आंचल टिकमानी, सुश्री मिशिका सिंह, राघव काकेर, सुश्री सोनल सारदा और अरीब अमानुल्लाह