दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग से रेप के मामले में होटल मालिक को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 वर्षीय एक नाबालिग लड़की को कथित तौर पर बंधक बनाने और चार दिनों तक बलात्कार करने के आरोपी एक होटल के मालिक को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कहते हुए कहा कि उसने बिना वैध लाइसेंस के होटल चलाकर अपराध में मदद की और न हीं होटल में आने वालों का रिकॉर्ड रखा।
न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने यह भी कहा कि अगर बुकिंग के समय पीड़िता और प्राथमिक आरोपी की आईडी ली जाती तो नाबालिग लड़की को बलात्कार से बचा लिया जाता।
कोर्ट ने कहा,
"इस तरह के होटल चलाकर और होटल में ठहरने वाले गेस्ट का रिकॉर्ड रखे बिना याचिकाकर्ता अपराध में मदद कर रहा है। इस मामले में अभियोक्ता ऐसी ही एक पीड़िता है।"
पीड़िता के पिता की शिकायत पर आईपीसी की धारा 366, 376 और 109 और पोक्सो एक्ट की धारा 6, 17 और 21 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
यह आरोप लगाया गया कि नाबालिग पीड़िता को प्राथमिक आरोपी जितेंद्र पाल ने अपहरण कर लिया था। वह उसे दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके के एक होटल में ले गया, जहां उसके साथ कई बार बलात्कार किया गया।
याचिकाकर्ता के अनुसार, यह प्रस्तुत किया गया कि होटल का मालिक होने के नाते, होटल के कर्मचारियों द्वारा की गई बुकिंग में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।
कोर्ट ने कहा,
"मौजूदा मामले में पीड़िता 'X' करीब 16 साल की लड़की है और पीड़िता के मुताबिक उसे करीब 4 दिनों तक होटल में रखा गया, जहां आरोपी जितेंद्र पाल ने उसके साथ बार-बार रेप किया। चूंकि होटल का मालिक भी वहीं रहता है इसलिए वह यह नहीं कह सकता कि उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि उसके होटल में क्या हो रहा है। वह पूरा दोष होटल के कर्मचारियों पर नहीं डाल सकता है।"
बेंच ने आगे कहा:
"सबसे पहले, याचिकाकर्ता द्वारा बिना किसी वैध लाइसेंस के होटल चलाया जा रहा है और होटल में आने वालों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा है। कोई आईडी नहीं ली जा रही है। पीड़िता और आरोपी जितेंद्र पाल की आईडी उस समय ली जाती तो नाबालिग लड़की रेप से बच जाती।"
चूंकि, पीड़िता की गवाही अभी दर्ज नहीं की गई है, आरोपों और अपराध की गंभीरता और याचिकाकर्ता द्वारा निभाई गई भूमिका को देखते हुए जमानत के लिए कोई आधार नहीं बनाया गया।
शीर्षक: अजय कुमार बनाम राज्य
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