दिल्ली कोर्ट ने दिल्ली दंगों के मामले में उमर खालिद को 10 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजा
दिल्ली कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली दंगों के पीछे कथित साजिश के सिलसिले में जेएनयू छात्र उमर खालिद को दस दिनों के लिए दिल्ली पुलिस की हिरासत में भेज दिया। खालिद को आज रात 1 बजे के आसपास गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को 40GB से अधिक के टेक डेटा के इस्तेमाल के संबंध में "दिल्ली के दंगों के पीछे गहरी साजिश" का पता लगाने के लिए 10 दिनों की पुलिस हिरासत की मांग की थी। पुलिस ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के दौरान दिल्ली में सड़कों और सार्वजनिक स्थानों को अवरुद्ध करने के लिए विभिन्न मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों से अपील करने के लिए खालिद ने कई समूहों के साथ मिलकर एक साजिश रची थी, ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह दुष्प्रचार हो सके कि भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय को प्रताड़ित किया जा रहा है।
JNU Student Umar Khalid produced before Karkardooma court judge Amitabh Rawat for remand.
— Live Law (@LiveLawIndia) September 14, 2020
Delhi police seeks 10 days of police custody to confront Umar Khalid with data that runs into 11 lakh pages.@UmarKhalidJNU @DelhiPolice #UmarKhalid pic.twitter.com/2cTpGoz086
यह आगे आरोप लगाया गया कि साजिश के परिणामस्वरूप, 23-25 फरवरी के दौरान उत्तर पूर्वी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में दंगे शुरू हो गए।
अतिरिक्त सत्र न्यायालय, कड़कड़डूमा के समक्ष खालिद की ओर से पेश होने वाले उनके वकील त्रिदीप पैस ने रिमांड का विरोध करते हुए कहा कि पुलिस का मामला "केवल बयानबाजी" के अलावा कुछ नहीं है।
पैस ने कहा कि खालिद हमेशा से जांच में सहयोग कर रहे हैं और जब भी उनसे पूछा जाता था, पूछताछ के लिए खुद को पेश करते थे। इसलिए, कोई फ्लाइट रिस्क नहीं है। उनसे 31 जुलाई को पांच घंटे और 13 सितंबर को पूरे दिन पूछताछ की गई। वकील ने प्रस्तुत किया, फिर भी पुलिस खालिद के खिलाफ कुछ भी नहीं प्राप्त नहीं कर सकी।
पैस ने आगे कहा कि खालिद के भाषणों ने हमेशा शांति और संविधान को बनाए रखने की अपील की। उनमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था।
"सीएए का विरोध किया जाना अपराध नहीं है", पैस ने प्रस्तुत किया।
वकील ने आगे कहा कि खालिद के खिलाफ एक उन्माद पैदा किया जा रहा है।
दोनों पक्षों के तर्कों को देखते हुए, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, अमिताभ रावत ने यह कहते हुए रिमांड का आदेश दिया कि
"मामले की प्रकृति और आरोपी उमर खालिद की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, जो अब तक कई कट्टरपंथी समूहों / संगठनों के समर्थन से सीएए / एनपीआर / एनआरसी विरोध में साजिश और भागीदारी के संबंध में सामने आई है, जिसके परिणामस्वरूप दंगे हुए और तथ्य यह है कि हिरासत में लिए गए अभियुक्त उमर खालिद से भारी तकनीकी डेटा और साथ ही जांच के दौरान आई सामग्री के बारे में पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की मांग की गई है।
मुझे यह उचित लगता है कि पुलिस की मांग के वर्तमान आवेदन को अनुमति देकर मामले की प्रभावी और उचित जांच करने के लिए आरोपी उमर खालिद की दस दिन की रिमांड पर दिया जाए।"
अदालत ने आदेश दिया कि हर 24 घंटे में उसकी चिकित्सकीय जांच की जानी चाहिए और उसके वकीलों, त्रिदीप पैस, सान्या कुमार और रक्षंदा डेका को पुलिस हिरासत की शुरुआत में आरोपी से मिलने दिया जाए, लेकिन यह अवधि आधे घंटे से अधिक नहीं हो और इसके बाद पुलिस अभिरक्षा के दौरान प्रतिदिन वकीलों को आरोपी से मिलने के लिए रिमांड के स्थान के बारे में सूचित किया जाए।
खालिद के जीवन की सुरक्षा को देखते हुए, न्यायालय ने आदेश दिया कि जब भी उसे ऑफिस से बाहर निकाला जाए, डीसीपी उसकी सुरक्षा के लिए उचित प्रबंध करें।
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें