दिल्ली कोर्ट ने सोशल एक्टिविस्ट शबनम हाशमी को COVID लॉकडाउन विरोध मामले में बरी किया
दिल्ली कोर्ट ने सोशल एक्टिविस्ट शबनम हाशमी और एक अन्य महिला सीमा जोशी को अक्टूबर, 2020 में द्वारका में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान COVID-19 लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने के आरोप वाले मामले में बरी कर दिया।
द्वारका कोर्ट की JMFC दिव्या यादव ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा।
FIR द्वारका साउथ पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 269, 188 और 34 के तहत महामारी रोग अधिनियम की धारा 3 के साथ मिलाकर अपराधों के लिए दर्ज की गई थी।
आरोप था कि हाशमी और जोशी दूसरों के साथ बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के लॉकडाउन के दौरान बिना अनुमति के सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, जो एक सरकारी अधिकारी द्वारा जारी अधिसूचना का उल्लंघन था। उनके खिलाफ 15 सितंबर, 2023 को आरोप तय किए गए। उन्होंने खुद को निर्दोष बताया और ट्रायल की मांग की।
हाशमी और जोशी को बरी करते हुए जज ने कहा कि IO आरोपी का COVID-19 टेस्ट कराने में विफल रहा। कोर्ट ने पाया कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं था, जिससे यह पता चले कि हाशमी और जोशी COVID-19 पॉजिटिव थे और बीमारी फैला सकते थे।
कोर्ट ने कहा,
"IO द्वारा रिकॉर्ड पर रखी गई कथित घटना की CD को उसने औपचारिक रूप से जब्त नहीं किया, इसका कोई जब्ती मेमो रिकॉर्ड पर नहीं है और इसे FSL को नहीं भेजा गया।"
इसमें कहा गया कि IO ने घटनास्थल से कोई बैनर और पोस्टर जब्त नहीं किए, जिनका इस्तेमाल आरोपियों ने किया और न ही उसने किसी अन्य प्रतिभागी की जांच की या उन्हें मामले में गवाह बनाया।
जज ने फैसला सुनाया,
"नतीजतन, दोनों आरोपी व्यक्ति यानी शबनम हाशमी और सीमा जोशी को यहां निर्दोष पाया जाता है और उन्हें IPC की धारा 269/188/34 के तहत महामारी अधिनियम की धारा 3 के साथ पढ़े जाने वाले अपराध से बरी किया जाता है।"