दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी डिग्री मानहानि मामले की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने के लिए गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया

Update: 2023-08-10 06:19 GMT

गुजरात हाईकोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने याचिका दायर कर मांग की कि जब तक कि उनकी पुनर्विचार याचिका का निपटारा नहीं हो जाता (मेट्रोपॉलिटन कोर्ट के समन जारी करने के आदेश को सत्र अदालत चुनौती दी गई), गुजरात यूनिवर्सिटी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि शिकायत की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाई जाए।

जस्टिस समीर जे. दवे की पीठ कल उनकी याचिका पर सुनवाई कर सकती है।

अहमदाबाद की एक मेट्रोपॉलिटन अदालत ने इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक डिग्री के विवाद के संबंध में उनके (केजरीवाल और सिंह) कथित अपमानजनक बयानों पर गुजरात यूनिवर्सिटी द्वारा दायर मानहानि मामले में दोनों को 11 अगस्त के लिए तलब किया।

इससे पहले 5 अगस्त को सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट अहमदाबाद ने उनकी पुनर्विचार याचिका का निपटारा होने तक मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

इस आदेश को चुनौती देते हुए आप के दोनों नेताओं ने अब गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने पुनर्विचार याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिए अदालत से निर्देश देने का भी अनुरोध किया।

मामले की पृष्ठभूमि

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 के तहत गुजरात यूनिवर्सिटी द्वारा अपने रजिस्ट्रार डॉ. पीयूष एम. पटेल के माध्यम से दायर आपराधिक शिकायत में केजरीवाल और सिंह के कथित बयानों का हवाला दिया गया, जिसमें उन पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में व्यंग्यात्मक और अपमानजनक बयान देने का आरोप लगाया गया। ट्विटर हैंडल पर मोदी की डिग्री को लेकर यूनिवर्सिटी पर निशाना साधा जा रहा है।

कथित बयान इस प्रकार है:

"अगर डिग्री है और वो सही है तो डिग्री दी क्यों नहीं जा रही है...गुजरात और दिल्ली यूनिवर्सिटी डिग्री क्यों नहीं दे रही हैं? डिग्री इसलिए नहीं दे रहे हैं कि हो सकता है डिर्गी फर्जी हो, डिग्री नकली हो...अगर प्रधानमंत्री जी दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढे हैं, गुजरात यूनिवर्सिटी से पढे हैं तो गुजरात यूनिवर्सिटी को सेलीब्रेट करना चाहिए कि हमारा लड़का जो है देश का प्रधानमंत्री बन गया...वो उनकी डिग्री को छुपने की कोशिश कर रहे हैं...(यूनिवर्सिटी) प्रधानमंत्री की फर्जी डिग्री को सही साबित करने में जुट गई। ये वो बयान हैं जिन्हें यूनिवर्सिटी ने अपनी शिकायत में केजरीवाल के हवाले से लिखा है।"

शिकायत में कहा गया कि कथित बयान गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के ठीक बाद दिया गया, जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 2016 के आदेश खारिज कर दिया गया, जिसमें गुजरात यूनिवर्सिटी को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को "नरेंद्र दामोदर मोदी के नाम पर डिग्री के बारे में जानकारी" प्रदान करने का निर्देश दिया गया।"

शिकायत में आगे कहा गया कि गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के तुरंत बाद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुजरात यूनिवर्सिटी के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए, जबकि उन्हें इस बात की जानकारी थी कि प्रधानमंत्री की डिग्री यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर बहुत पहले ही प्रकाशित हो चुकी है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि यूनिवर्सिटी ने अपनी शिकायत में यह भी तर्क दिया कि सीएम केजरीवाल ने अपनी "व्यक्तिगत क्षमता" और "राज्य के मामलों के लिए नहीं" में बयान दिया।

इस साल अप्रैल में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट जयेशभाई चोवतिया ने पाया कि प्रथम दृष्टया केजरीवाल और सिंह दोनों ने गुजरात यूनिवर्सिटी को निशाना बनाया, क्योंकि उनके द्वारा कहे गए शब्द व्यंग्यात्मक हैं और लोगों के मन में गुजरात यूनिवर्सिटी की छवि को निशाना बनाने के लिए थे।

कोर्ट ने कहा,

"यह स्वाभाविक है कि आरोपी लोगों के बयानों के कारण जो लोग गुजरात यूनिवर्सिटी की साख जानते हैं और जो लोग गुजरात यूनिवर्सिटी को नहीं जानते, उनके मन में गुजरात यूनिवर्सिटी के प्रति अविश्वास पैदा हो जाएगा।"

कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि राजनीतिक पदाधिकारी अपने लोगों के प्रति अपना कर्तव्य पूरा करने के बजाय अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी या स्वार्थ के लिए विरोधियों या उसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई कार्य करते हैं और यदि वे ऐसे कोई शब्द बोलते हैं तो उन शब्दों को लोगों के भरोसे का उल्लंघन माना जाएगा और बोले गए शब्द व्यक्तिगत माने जाएंगे।

यह उस क्रम में है, जिसमें न्यायालय ने न्यायालय के समक्ष उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति का निर्देश दिया।

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