उचित औचित्य के बिना अपील दायर करने में 18 महीने की देरी: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जीएसटी पंजीकरण रद्द करने को बरकरार रखा

Update: 2022-05-21 14:33 GMT

Madhya Pradesh High Court

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की पीठ ने जीएसटी पंजीकरण रद्द करने के एक फैसले को बरकरार रखा है क्योंकि उचित औचित्य के बिना अपील दायर करने में 18 महीने की देरी हुई थी। पीठ में जस्टिस शील नागू और जस्टिस मनिंदर एस भट्टी शामिल थे।

याचिकाकर्ता कंपनी/निर्धारिती को माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 के तहत पंजीकृत किया गया था। रिटर्न दाखिल न करने के कारण, याचिकाकर्ता को आवंटित जीएसटी नंबर रद्द कर दिया गया था। रद्द करने के खिलाफ याचिकाकर्ता ने अपील दायर की। अपील खारिज कर दी गई।

करदाता ने जीएसटी पंजीकरण रद्द करने के आदेश को चुनौती दी।

प्रतिवादी/विभाग ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता का पंजीकरण 19.06.2019 को रद्द कर दिया गया था, जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने 30.01.2021 को अपील दायर की थी। अपील पर 16.03.2021 को विचार किया गया। अपीलीय प्राधिकारी ने जीएसटी अधिनियम की धारा 107 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए अपील को समयबाध‌ित बताते हुए खारिज कर दिया।

जीएसटी अधिनियम की धारा 107 (1) में प्रावधान है कि आदेश की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर अपील की जा सकती है। धारा 107 (4) में प्रावधान है कि अपील प्राधिकारी, यदि संतुष्ट है कि अपीलकर्ता को पर्याप्त कारण से 3 महीने की सीमा की अवधि के भीतर अपील प्रस्तुत करने से रोका गया था तो वह इसे एक महीने की और अवधि के भीतर प्रस्तुत करने की अनुमति दे सकता है।

अदालत ने देखा कि पंजीकरण रद्द करने का आदेश 19.06.2019 को पारित किया गया था और याचिकाकर्ता द्वारा 30.01.2021 को अपील दायर की गई थी। इस प्रकार, पंजीकरण रद्द करने के आदेश की तारीख के लगभग डेढ़ साल बाद अपील दायर की गई थी।

अदालत ने माना कि जिस अवधि के दौरान अपील की जानी चाहिए थी, वह पंजीकरण रद्द होने की तारीख से चार महीने थी। हालांकि, चार महीने बीत जाने के बावजूद, याचिकाकर्ता द्वारा अपील नहीं की गई। अपील दायर करने में डेढ़ साल की अस्पष्टीकृत देरी की गई थी।

केस टाइटल: मैसर्स राजधानी सिक्योरिटी फोर्स प्रा लिमिटेड बनाम यूनियन ऑफ इंडिया

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