मानहानि का मामला - गुजरात हाईकोर्ट ने समन के खिलाफ अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया
गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक डिग्री मानहानि मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह द्वारा दायर याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया ।
दोनों आप नेताओं ने पीएम मोदी की शैक्षणिक डिग्री मांगने वाले गुजरात यूनिवर्सिटी को 'निशाना' बनाने वाली उनकी कथित टिप्पणियों पर उनके खिलाफ दायर मानहानि शिकायत में मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा जारी समन को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया है।
जस्टिस समीर दवे की अदालत के समक्ष दोनों याचिकाएं शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गईं, जब सीनियर एडवोकेट पर्सी कविना ने तत्काल आधार पर मामले की सुनवाई करने का उल्लेख किया। हालांकि जस्टिस दवे ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और इसके बजाय उन्होंने मामले को 29 सितंबर को सुनवाई के लिए पोस्ट किया।
इससे पहले 22 सितंबर को भी जस्टिस दवे ने सीनियर एडवोकेट रेबेका मैमन जॉन द्वारा किए गए उल्लेख पर मामलों में प्राथमिकता सुनवाई देने से इनकार कर दिया था। रेबेका मैमन जॉन ने पीठ को अवगत कराया था कि वह याचिकाकर्ताओं की ओर से मामलों पर बहस करने के लिए दिल्ली से आई हैं और उन्हें कम से कम 10 मिनट का समय दिया जाए।
इससे पहले 18 सितंबर को गुजरातहाईकोर्ट ने आप नेताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई की अनुमति देने से इनकार कर दिया था ।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने गुजरात यूनिवर्सिटी द्वारा दायर मानहानि शिकायत में मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा समन जारी करने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया है ।
गुजरात के अहमदाबाद में एक सत्र न्यायालय द्वारा दोनों के पुनरीक्षण आवेदन को खारिज करने के 4 दिन बाद अपील दायर की गई थी।
आपराधिक मानहानि शिकायत में यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. पीयूष एम.पटेल ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल और सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस और ट्विटर हैंडल पर मोदी की डिग्री को लेकर यूनिवर्सिटी को निशाना बनाते हुए व्यंग्यात्मक और अपमानजनक बयान दिए थे।
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने 1 अप्रैल को एक संवाददाता सम्मेलन में कथित टिप्पणियां की थीं और सिंह ने 2 अप्रैल को आयोजित दूसरे संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कहीं। इसके बाद, गुजरात यूनिवर्सिटी ने अहमदाबाद में मजिस्ट्रेट के समक्ष उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज की।
अपनी अपील में केजरीवाल ने कहा है कि कथित मानहानिकारक टिप्पणियां उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में की थीं, जिसमें उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री की डिग्री से संबंधित एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया था और ऐसा करके, उन्होंने यह कहकर भारत के लोगों को जागरूक करने के अपने कर्तव्य का निर्वहन किया कि महान राष्ट्र भारत, भारत के प्रधानमंत्री सहित संवैधानिक पद पर शिक्षित और योग्य व्यक्तियों का हकदार है। इसलिए, उक्त बयान मानहानि की श्रेणी में नहीं आ सकते।
केजरीवाल और सिंह के खिलाफ मामला
गुजरात यूनिवर्सिटी द्वारा दायर आपराधिक शिकायत में केजरीवाल के निम्नलिखित बयानों पर आपत्ति जताई गई है और इन्हें मानहानिकारक बताया गया है:
कथित बयान इस प्रकार है:
"अगर डिग्री है और वो सही है तो डिग्री दी क्यों नहीं जा रही है...गुजरात और दिल्ली यूनिवर्सिटी डिग्री क्यों नहीं दे रही हैं? डिग्री इसलिए नहीं दे रहे हैं कि डिग्री हो सकता है फर्जी हो, डिग्री नकली हो...अगर प्रधानमंत्री जी दिल्ली विश्वविद्यालय से पढे, गुजरात यूनिवर्सिटी से पढे, तो गुजरात यूनिवर्सिटी को सेलीब्रेट करना चाहिए कि हमारा लड़का जो है देश का प्रधानमंत्री बन गया...वो उनकी डिग्री को छुपने की कोशिश कर रहे हैं...(यूनिवर्सिटी) प्रधानमंत्री की फर्जी डिग्री को सही साबित करने में जुट गई है।"
शिकायत में आगे कहा गया है कि गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के तुरंत बाद, केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुजरात विश्वविद्यालय के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए, जबकि उन्हें इस बात की जानकारी थी कि प्रधानमंत्री की डिग्री विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर बहुत पहले ही प्रकाशित हो चुकी है। इस साल अप्रैल में, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट जयेशभाई चोवतिया ने पाया कि प्रथम दृष्टया, केजरीवाल और सिंह दोनों ने गुजरात विश्वविद्यालय को निशाना बनाया था क्योंकि उनके द्वारा कहे गए शब्द व्यंग्यात्मक थे और लोगों के मन में गुजरात विश्वविद्यालय की छवि को निशाना बनाने के लिए थे।