हिरासत में प्रताड़ना से हुई मौत: राज्य सरकार नाबालिग पीड़ित के परिवार को चार सप्ताह में देगी पांच लाख रुपये, मद्रास हाईकोर्ट ने मामले को स्थगित किया

Update: 2021-12-18 11:52 GMT

मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने हिरासत में दी गई कथित प्रताड़ना के कारण मरे 17 वर्षीय लड़के के लिए पर्याप्त मुआवजा और परिवार के लिए नौकरी की मांग संबंधी रिट पिटिशन में सरकार के सचिव के पत्र पर ध्यान दिया है, जिसमें पांच लाख रुपये मुआवजा स्वीकृत किया गया है।

हिरासत में प्रताड़ना के शिकार लोगों को वित्तीय सहायता देने के 2015 के सरकारी आदेश पर भरोसा करते हुए अदालत के समक्ष पेश किए गए पत्र में कहा गया है कि मृतक का कानूनी उत्तराधिकारी मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये का पात्र होगा। 13 दिसंबर, 2021 के पत्र में यह भी कहा गया है कि पीड़ित के लिए अतिरिक्त मुआवजे का भुगतान सीबी-सीआईडी की अंतिम रिपोर्ट और मदुरै न्यायिक मजिस्ट्रेट की सुनवाई के परिणाम पर निर्भर करता है।

पत्र पर ध्यान देते हुए जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने सरकारी वकील से पूछा कि याचिकाकर्ता, पीड़ित की मां एम जेया को 5 लाख रुपये देने में कितना समय लगेगा। राज्य ने अपने जवाब में कहा कि चार सप्ताह में राशि का वितरण किया जा सकता है। इसलिए, अदालत ने मदुरै के जिला कलेक्टर को चार सप्ताह में परिवार को राशि वितरित करने का निर्देश दिया।

जब जस्टिस जीआर स्वामीनाथन उपरोक्त तथ्यों के आलोक में मामले को निस्तारित करने की इच्छा जताई तो याचिकाकर्ता की मां की ओर से पेश अधिवक्ता आर करुणानिधि ने अदालत से मामले को कुछ हफ्तों के बाद पोस्ट करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि याचिका में मांगी गई मुआवजा राशि स्वीकृत राशि से बहुत अधिक है और याचिकाकर्ता ने सरकारी नौकरी देने का भी अनुरोध किया है। जिसके बाद मामले को बाद की तारीख के लिए स्थगित कर दिया गया।

हाईकोर्ट के समक्ष 2019 में दायर रिट याचिका में, याचिकाकर्ता ने परिवार के लिए मुआवजे के साथ-साथ सीबी-सीआईडी ​​को जांच के हस्तांतरण सहित व्यापक राहत का अनुरोध किया था।

26 मार्च, 2019 के एक आदेश के जर‌िए मदुरै खंडपीठ ने जांच अदालत की निगरानी के अधीन सीबी-सीआईडी को ट्रांसफर कर दी थी। अदालत ने उस समय पुलिस द्वारा मामले को आगे बढ़ाने के तरीके पर भी नाराजगी व्यक्त की थी।

अदालत ने तब यह भी कहा था कि मुआवजे पर अंतिम निर्णय टालना समझदारी ही है क्योंकि मामले अब तक निर्णय नहीं हुआ है। सीबी-सीआईडी ​​जांच टीम की स्टेटस रिपोर्ट का इंतजार किया जाना चाहिए।

सीबी-सीआईडी ​​ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में चार पुलिसकर्मियों पर धारा 324 और 304 (ii) के तहत अपराध का आरोप लगाया था। अपराधों का संज्ञान भी लिया गया। 24 नवंबर, 2021 को जब इस मामले की सुनवाई की गई तो जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने अतिरिक्त लोक अभियोजक से इस पर सरकार से निर्देश प्राप्त करने को कहा था।

पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता के नाबालिग बेटे को एसएस कालोनी पुलिस स्टेशन, मदुरै ने 13 जनवरी 2019 को हिरासत में लिया था। 17 वर्षीय युवक को उसी इलाके में जेवरात की चोरी के मामले में हिरासत में लिया गया था।

याचिकाकर्ता मां के अनुसार, लड़के 13 जनवरी से 16 जनवरी तक पुलिस हिरासत में रखा गया और उसे क्रूर यातना दी गई। हालांकि, पुलिस अधिकारियों आरोप का खंडन किया। उन्होंने दावा किया कि लड़के के खिलाफ आईपीसी की धारा 304(ii) और 343 के तहत मामला दर्ज किया गया, जिसके कारण उसे 16 जनवरी को हिरासत में लिया गया था।

याचिकाकर्ता मां ने आरोप लगाया कि 15 जनवरी की रात उसे लड़के का फोन आया, जिससे यह पता चला कि वह अस्वस्थ है और अवैध हिरासत में है।

16 जनवरी को याचिकाकर्ता को उस पुलिस स्टेशन बुलाया गया, जहां उसके बेटे को रखा गया था। याचिकाकर्ता मां का आरोप है कि पुलिस ने कोरे कागजों पर उसके दस्तखत लिए। इसके बाद लड़के का मेडिकल चेकअप कराया गया। न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेशों के अनुसार, लड़के को परिवार के साथ 18 जनवरी को किशोर न्याय कोर्ट, मदुरै के समक्ष पेश होना आवश्यक था।

हालांकि, 16 जनवरी को ही उसका सेहत बिगड़ गई, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। 24 जनवरी को उसकी मौत हो गई। याचिकाकर्ता ने हलफनामे में कहा था कि नाबालिग लड़के को गंभीर आंतरिक चोटें आईं थीं। हालांकि पुलिस अधिकारियों ने मामले को छिपाने की कोशिश की थी।

केस शीर्षक: एम. जेया बनाम प्रधान सचिव एवं अन्य।

केस नंबर: WP(MD) No.5259 of 2021

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